लखनऊ .अगर मरीज को वार्ड तक पहुंचाना है तो धक्का लगाओ नहीं तो एंबुलेंस का इंतजार करते रहो . केजीएमयू में तीमारदार धक्का लगाने में तो ड्राइवर मसाला खाने में मस्त रहता है। ये हाल है ट्रामा सेंटर से बैटरी चलित कार का। बैट्री चलित कार के माध्यम से मरीजों को ट्रामा सेंंटर से बाल रोग विभाग व अन्य वार्डो में लाया जे जाया जाता है। जानकारों की मानें तो बैट्री चलित कार ज्यादा समय तो ट्रामा के बाहर खड़ी धूल फांका करती है, आए दिन खड़ी ही रहती है .कभी कभार चलती भी है तो इसे धक्का मार कर ले जाना पड़ता है।
मंगलवार को बैट्रीकार मरीजों को लेकर बाल रोग विभाग ले जा रही थी। इस दौरान रास्ते में अचानक कार चलना बंद हो गयी। कुछ देर नहीं चलने के बाद कार सवार परेशान हो गए जिसके बाद उस बैट्री कार पर बैठे लोगों ने खुद ही धक्का मारना शुरू कर दिया और यह धक्का मारते हुए बाल रोग विभाग तक ले गये।
इस बीच बैट्री चलित कार को चलाने वाला चालक ने दो बार धक्का मारने वालों को रोका भी क्योंकि चालक को मसाला थूकना था। बताते चलें कि परिसर में तीमारदारों पान मसाला खाने पर तथा थूकने पर जुर्माना लगाया जाता है. पर अन्य कर्मचारियों को पान मसाला पान खाने से केजीएमयू प्रशासन रोक नहीं पाता है . तीमारदार को खराब वाहन दूसरा चालक द्वारा पान मसाले का केजीएमूय परिसर में सेवन प्रसानिक अम्ले की कार्यशाली पर सवाल उठता दिखाई पड़ रहा है।