डेस्क। देश में सबके लिए किफायती और स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने की बड़ी चुनौती से निपटने के तहत पहली बार एक व्यापक और ठोस राष्ट्रीय नीति की घोषणा इस साल स्वास्थ्य क्षेत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि रही जिसने इस क्षेा को मजबूत करने के साथ ही उसके लिए एक व्यापक आधार भी तैयार किया।
तेजी से बदल रही सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवा क्षेा को दुरुस्त बनाने के लिए इस वर्ष सरकार की ओर से कई अहम कदम उठाए गये । इनमें स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंाी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 2017-18 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में 12 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोले जाने, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही परीक्षा आयोजित करने ,रोगियों को दी जाने वाली सेवाओं के मूल्य, लापरवाही तथा अनुचित व्यवहार से संबंधित विवादों/ शिकायतों के समाधान के लिए अधिकार सम्पन्न नियामक ढांचा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी।
इसके साथ ही जांच और निदान केन्द्रों की सुविधा बढ़ाने, परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने, मनोरोगियों और एड्स पीड़तिों को सामाजिक सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने, आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटाने और विभिन्न संचारी और गैर संचारी रोगों के लिए व्यापक टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेा में नवाचार के लिए कुछ देशों के साथ विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए।
मेक इन इंडिया पहल के तहत दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय आबादी के लिए देश में बने फार्मा उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय विनिर्माण इकाइयों को सक्रिय बनाने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही चिकित्सा सेवा प्रणाली की दक्षता और परिणाम को सुधारने के लिए डिजीटल उपायों की व्यापक तैनाती पर भी बल दिया गया ।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, मानसिक स्वास्थ्य सेवा विधेयक और एचआईवी एवं एड्स (निवारण और नियंाण) विधेयक पारित कर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ही रोगियों की सामाजिक सुरक्षा को भी पुख्ता किया गया।