नींद टूट गयी और दिल बिखर गया,
वादे से अपने ख्वाब जब मुकर गया.
मौजो को साहिल पे तड़पते देखा,
आँखे इतना रोई के दिल भर गया.
कर बैठा कितने सवाल आइना,
जब मिलाने उससे नजर मै घर गया.
लबों पे अल्फाज सारे ठिठुर गए,
सर्द ख़याल करीब से जब गुजर गया.
लिखी गजल तो मिला सकू कुछ ऐसा,
कर्ज जैसे अपना कोई उतर गया.
– दिलीप मेवाड़ा