केजीएमयू व एम्स पटना कैंसर पर करेंगे शोध

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लखनऊ – किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपैडिक विभाग व एम्स पटना ने कैंसर से निजात दिलाने के लिए कार्टी सेल के प्रयोग पर दोनो संस्थान मिल कर रिसर्च करेंगे। इस शोध की खास बात यह होगी कि दोनों संस्थान विदेशों में कैंसर मरीजों पर प्रयोग होने वाली कार्टी सेल पर शोध करने जा रहे है। अगर यह शोध सफल होता है तो कैंसर के इलाज में नया आयाम स्थापित करेगा। कैंसर पर होने वाले इस शोध के लिए एम्स पट ना ने 15 लाख रुपये केजीएमयू के आर्थोपैडिक विभाग को दे दिये है।

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आर्थोपैडिक विभाग के विगाध्यक्ष डा. जीके सिंह ने बताया कि विदेशों में कैंसर मरीजों के शरीर में डाली जाने वाली कार्टी सेल के सटीक रिजल्ट सामने आए हैं। इसके प्रयोग से मरीज के 93 प्रतिशत तक मामलों में ट्यूमर समाप्त हो गये है, जो कि कैंसर के मरीजों के लिए इलाज के लिए नयी उम्मीद लेकर आया है।  आर्थोपैडिक विभाग के प्रमुख प्रो. जीके सिंह ने बताया की कार्टी सेल मुख्य रूप से ब्लड कैंसर के मरीजों में कारगर है। ब्लड कैंसर में ल्यूकीमिया और लिम्फोमा जैसे कैंसर में यह सेल काफी तेजी से कैंसर सेल को मारकर मरीज को रिकवर होने में मदद करती हैं। मरीज दो से तीन माह में ट्यूमर से निजात पा जाता है।

इसका लाभ यह है कि मरीज को पांच साल तक दोबारा ट्यूमर या कैंसर होने की आशंका नहीं होती है। अगर देखा जाए तो सेल का विदेशों में 93 प्रतिशत तक क्योर रेट देखा गया है। यह सेल प्रतिरोधी कोशिकाओं के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं पर चोट करती हैं। इससे कैंसर बीमारी से निजात मिल जाती है।
प्रो. सिंह ने बताया कार्टी सेल से इलाज कराना काफी जटिल है। उन्होंने बताया कि कार्टी सेल के लिए मरीजों का करीब साढ़े तीन लाख रुपए खर्च आ सकता है। यहां पर इसके प्रयोग करने में अभी एक वर्ष तक का समय लग सकता है।

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