लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन ने पांच वर्ष पहले संचालन के लिए डाक्टर व रेजीडंेट को तैनात किया था, परन्तु यह डॉक्टर व सीनियर रेजीडेंट ट्रामा सेंटर में काम करने की बजाय विभागों में चले गये। तमाम कवायद के बाद केजीएमयू प्रशासन ने बीस डॉक्टरों को तो ट्रामा सेंटर वापस ले अाये है लेकिन अभी तक 86 डॉक्टरों का वापस घर लौटना का इंजतार है।
ट्रामा सेंटर में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए वरिष्ठ डाक्टरों व रेजीडेंट डाक्टरों की तैनाती की गयी ताकि यहां बढ़ती मरीजों की संख्या को समय पर इलाज दिया जा सके। लेकिन केजीएमय प्रशासन की यह योजना सफल नहीं हो पायी। वर्तमान में ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत जूनियर डॉक्टर अपनी मनमानी करते हुए अक्सर मरीजों को बिना इलाज लौटा देते है या रेफर कर देते है। कई बार तो मरीज की मौत होने पर हंगामा तक होता है। लेकिन मामले को पटाक्षेप कर दिया जाता है।
बताते चले कि वर्ष 2013 में तत्कालीन कुलपति डॉ. डीके गुप्ता ने ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को बेहतर सेवाएं देने के लिए 32 डॉक्टरों की भर्ती और 72 रेजीडेंट की तैनाती किया था। यह सभी डॉक्टर आर्थोपैडिक, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, पीड्रियाटिक्स, ईएनटी, एनेस्थिसियां समेत अन्य विभागों के विशेषज्ञ थे। लेकिन
केजीएमयू प्रशासन ने जिन 25 डॉक्टरों को ट्रॉमा सेंटर में तैनात करने के लिए कहा है कि उनमें पांच डॉक्टर पहले से ही ट्रॉमा क्रिटिकल केयर में है। बाकी कुछ डॉक्टर ट्रॉमा 2 से वापस आए डॉक्टरों को लगाया गया है।
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