लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल मरीजों को जूनियर डॉक्टर बेहोशी की हालत में जबरन डिस्चार्ज करने पर तीमारदारों ने इसका विरोध करते हुए हंंगामा मचा दिया, तो डॉक्टरों ने खदेड़ने की धमकी देते हुए तीमारदारों से जबरन पेपर पर साइन कराया आैर मरीजों को बाहर कर दिया। तीमारदारों का कहना है कि कोई सुनवाई ही नहीं करता है।
महोना निवासी उमेश (50) हादसे में शनिवार को गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजनों ने उन्हें स्थानीय डाक्टर को दिखाने के बाद केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती कराया। तीमारदारों का आरोप है कि डॉक्टरों ने मरीज को ठीक बताकर रविवार दोपहर जबरन डिस्चार्ज कर दिया। यही नही इसी प्रकार सुल्तानपुर के रहने वाले मरीज मनोज (34) ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग में बीती 27 अप्रैल से भर्ती थी। उनका आरोप है कि रेजीडेंट डॉक्टर ने फार्म जबरन भरवाया आैर कहा कि मरीज को बलरामपुर अस्पताल ले जाओ। तीमारदारों ने इसका विरोध किया तो रेजीडेंट धमका दिये। ऐसे में नाराज परिजनों ने जमकर हंगामा किया, लेकिन रविवार होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इसी प्रकार लोहिया अस्पताल से रेफर होकर आए मरीज हरपाल को पेट में दर्द की शिकायत थी। तीमारदार दोपहर में उन्हें ट्रॉमा मेडिसिन विभाग में भती कराने गये डॉक्टरों ने एक ग्लूकोज की बोतल लगाकर उन्हें बाहर कर दिया। यहां पर मरीज को लेकर कैजुल्टी के बाहर पिलर में ग्लूकोज की बोतल टांगकर दवा चढ़ा रहे थे। द्मद्म
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