नहीं जा रहा खर्राटा, कराये यह सर्जरी

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लखनऊ – अगर सभी इलाज के बाद भी खर्राटा से राहत नहीं मिल रही है, तो सर्जरी ही इससे निदान दिला सकती है। इस सर्जरी में जबड़े को आवश्यकता अनुसार आगे करके फैरिंजल एअर वे को चौड़ा कर दिया जाता है आैर खर्राटा आना बंद हो जाता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आयोजित लाइव सर्जिकल वर्कशाप आन आर्थोगनैथिक सर्जरी में भुवनेश्वर एम्स से आये डा. अशोक कुमार जेना ने दी। कार्यशाला में कई जबड़े की सर्जरी को करके डाक्टरों को लाइव दिखाया गया। इससे पहले कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने किया।

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डा. जेना ने कहा कि अक्सर खर्राटा को लेकर लोग परेशान रहते है आैर इसके निदान के लिए तमाम प्रकार की कवायद करते है। उन्होंने बताया कि खर्राटा को दूर करने के लिए पहले स्लीप एप्नीया की जांच की जाती है। इसके बाद विशेषज्ञ डाक्टर तय करते है कि खर्राटा के लिए कौन सा तकनीक से इलाज करके दूर किया जाए। उन्होंने बताया कि चेस्ट, रेस्पटरी मेडिसिन डाक्टर व अन्य डाक्टर की परामर्श के बाद ही प्लास्टिक सर्जन तय करता है कि मुंह के अंदर फैरिंजल एअरवे में गैपिंग कितनी है। इसके बाद जबड़े को कितना आगे किया जाए कि श्वसन प्रक्रिया में फैरिंजल एअरवे कितना चौडा किया आैर खर्राटा नही आये।

इसके अलावा जबड़े की विकृति को आर्थोडांस्टिक व प्लास्टिक सर्जन तय करते है कि जबड़ो का कितना आपरेशन किया जाए आैर दांतों को दांतों पर बैठाया जा सके। जन्मजात विकृति में अठ्ारह वर्ष के बाद ज्यादा किया जाता है। एम्स जोधपुर की डा. अंकिता चुघ ने बताया कि ठोड़ी पर आने वाली लाइन यानी की डबल चिन को भी सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। इसमें डबल चिन को ज्यादातर महिलाएं ठीक कराती है। डा. वीरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि जबड़े की विकृति से ग्रसित रोगियों के लिए प्लास्टिक, मैक्सिलोफेशियल एवं आर्थोडान्टिस्ट को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। लाइव सर्जरी में जबड़े की विकृति को दिल्ली के प्लास्टिक सर्जन अनिल मुरारका ने किया। इसके अलावा हाइपोप्लास्टिक मैक्सिला से ग्रसित रोगी की सर्जरी डा. एके सिंह ने किया।

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