न्यूज डेस्क। एक और व्यक्ति की निपाह के संदेह में मौत हो जाने से उत्तरी केरल के निवासियों में डर का माहौल बन गया है। इस संक्रामक बीमारी से निपटने के लिए प्रशासन तरह-तरह के उपाय कर रहा है, लेकिन फिर भी मरने वालों की संख्या मेंबढ़ोत्तरी हो रही है। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में शनिवार को तलश्शेरी निवासी रोजा (39) की तेज बुखार से मौत हो गयी, हालांकि बाद में जांच में वायरस के संबंध में नकारात्मक रिपोर्ट आई है। इस घटना के बाद इलाके में निपाह वायरस से मरने वालों की संख्या 17 हो गयी है।
रिपोर्ट के मुताबिक लोग इस खतरनाक वाइरस की चपेट आने के डर से अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। जिले में दो दिन पहले ही इस वायरस की वजह से दो लोगों की मौत हो गयी है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दूसरे चरण में उभरने का संकेत है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस क्षेा के विभिन्न अस्पतालों में कुल 1949 लोगों का गहन परीक्षण किया जा रहा है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो मरीजों के तीमारदारी में लगे हुए हैं या उनके नजदीकी संपर्क में हैं।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के़ के शाईलाजा ने निपाह वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा है, उनका कहना है कि प्रशासन इस संक्रमण को रोकने के लिए सभी जरूरी उपायों पर काम कर रहा है। इस बीमारी के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने राज्य में होने वाली सभी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को पहले ही 16 जून तक के लिए टाल दिया है। राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थान को पांच जून से ग्रीष्म अवकाश के बाद पुन: खोलने का भी आदेश दिया जा चुका है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी की रोकथाम के लिए आस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबायोटिक केरल पहुंचा है, यह एंटीबायाटिक इस वायरस से लड़ने में कारगर साबित हुआ है। सूत्रों का हालांकि कहना है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के विशेषज्ञों द्वारा जांच करने के बाद ही इस एंटीबायाटिक का प्रयोग मरीजों पर किया जा रहा है।
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