लखनऊ। कई बार मरीज अस्पताल में जांच के बाद वह सर्जरी कराने से डरता है। ऐसे में जो मरीज सर्जरी से डरते हैं, उनके लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर इंटरवेशनल रेडियोलॉजी को शुरू किया गया है। इस चिकित्सा तकनीक में रेडिएशन के द्वारा मरीज के रोग को दूर किया जा सकता है। डॉ. अनित परिहार किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आयोजित आईआरईपी-2018 (रेजीडेंट एजुकेशन प्रोग्राम केजीएमयू) दो दिवसीय सम्मेलन में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि लिवर आदि में अगर किसी प्रकार का कोई ट्यूमर हो तो उसे रेडियोलॉजी की मदद से आसानी से पहचाना जा सकता है। कुछ मामलों में सिर्फ इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ही कारगर है। इस तकनीक से ट्यूमर को अंदर ही जला दिया जाता है, उसकी ब्लड सप्लाई को रोक देते है या फिर उस ट्यूमर को जिस नस द्वार ब्लड सप्लाई होती ,उसमें ट्यूमर के पास कीमो चढ़ा देते है जिससे वो ट्यूमर नष्ट हो जाता है।
डॉ. भूपेन्द्र अहूजा ने कहा कि बच्चों में होने वाली आंतों की बीमारियों को अल्ट्रासाउण्ड से जल्द से जल्द पहचाना जा सकता है। इसके लिए रेडियोलॉजी में अल्ट्रासाउण्ड सबसे सुरक्षित है। इससे बिना रेडिएशन हम बीमारी को पहचान लेते हैं और यह हर जगह उपलब्ध है। डा. आहूजा ने कहा कि दो वर्ष तक के बच्चों के सभी अंगों तथा ब्रेन तक की बीमारीं में अल्ट्रासाउण्ड काफी बेहतर विकल्प है। दो वर्ष के ऊपर के बच्चों में सिर को छोड़कर सभी अंगो की जांच अल्ट्रसाउण्ड के माध्यम से की जा सकती है। बच्चों में भी गुर्दे की पथरी की समस्या आम होने लगी है। इसका सबसे बड़ा कारण बच्चों का कम पानी पीना है।
विभागाध्यक्ष डॉ. नीरा कोहली ने बताया कि यह सम्मेलन एक प्रकार का रिफ्रेशर कम रेजीडेन्ट ट्रेनिंग प्रोग्राम है, जिसके माध्यम से रेजीडेंट चिकित्सकों को रेडियोलॉजी में होने वाले विभिन्न नये कार्यों की जानकारी व प्रशिक्षण दिया जाना है। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. भट्ट ने कहा कि इस प्रकार शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहद अहम है। चिकित्सा के क्षेत्र में रोग की पहचान बहुत ही जरूरी है। आज के समय में रेडियो डायग्नोसिस के विकास से कैंसर जैसी बीमारियों का उपचार संभव हो सका है। कार्यक्रम में मौजूद आईआरआईआर के अध्यक्ष डॉ. के. मोहनन ने कहा कि वर्तमान में पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट अपना उद्देश्य खो चुका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इसके तहत होने वाली ज्यादातर कार्रवाई सिर्फ कागजों पर होती हैं।
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