लखनऊ। लगभग तीन करोड़ के बजट आने के बाद भी बुजुर्गो के इलाज के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में जेरियाटिक मेडिसिन विभाग नहीं बन पाया है। केन्द्रीय वृद्धजन स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रदेश में पहला जिरियाटिक विभाग शुरू करने का निर्देश केजीएमयू को दिया गया। इसमें बुजुर्गो को दवा दिये जाने के अलावा हियरिंग एड, चश्मा, छड़ी के अलावा वैक्सीनेशन भी किये जाने का प्रावधान है, परन्तु अभी तक बजट नही आने पर सिर्फ ओपीडी शुरू करके परामर्श दिया जाता है।
बुजुर्गो के बेहतर स्वास्थ्य के लिए केन्द्र ने प्रदेश को पहला जिरियाटिक मेडिसिन विभाग शुरू करने की घोषणा की थी। इसके लिए पहले चरण में लगभग एक करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत किया गया था, इसके बाद प्रत्येक वर्ष एक करोड़ रुपये का बजट दिया जा रहा है, लेकिन केजीएमयू प्रशासन की ढिलवाई के कारण अभी तक बजट नहीं आ पाया है। इसके बाद विभाग के प्रमुख बनाये गये डा. कौसर उस्मान ने अपने स्तर से सप्ताह में बृहस्पतिवार को ओपीडी शुरू कर दी है। वह बताते है कि किसी तरह ओपीडी शुरू करके बुजुर्ग मरीजों को देखा जा रहा है। सप्ताह में एक दिन ओपीडी चलने पर भी लगभग 50 से 60 मरीज आ जाते है।
डा. कौसर ने बताया कि इनमें ज्यादातर ब्लड प्रेशर, डायबटीज, आस्टियोपोरिसिस, गठिया, पार्किसन, डिप्रेशन के ज्यादातर मरीज होते है। उन्होंने बताया कि हार्ट डिजीज के बाद निमोनिया मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसका वैक्सीन भी लगाया जा सकता है, लेकिन जब बजट ही नही है तो कुछ नहीं कर सकते है। उन्होंने बताया कि बजट में तो बुजुर्गो को छड़ी, चश्मा, हियरिंग के अलावा अन्य चिकित्सकीय सुविधा दिये जाने का प्रावधान है। यही नही विभाग में एमडी जिरियाटिक की सीट भी होनी चाहिए, बुजुर्गो के इलाज के लिए विशेषज्ञों का विस्तार किया जा सके। अगर देखा जाए तो बुजुर्गो के अधिकार नही मिल रहे है। अस्पतालों में कहने को वरिष्ठ नागरिकों की लाइन अस्पताल में लगाने का प्रावधान है लेकिन बुजुर्ग सामान्य लाइन में लगे रहते है।
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