केले का डीएनए निकालकर स्कूली बच्चों ने बना दिया विश्व कीर्तिमान

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लखनऊ । भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान मेले में लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है। चार दिवसीय भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान मेले के शनिवार को 550 बच्चों ने केले का डीएनए निकालकर विश्व कीर्तिमान बना दिया। रविवार को एक और विश्व कीर्तिमान बनानेक की तैयारी कर ली गयी है। इसके तहत करीब तीन हजार बच्चों को एक साथ एक ही जगह पर प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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यहां जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में किये गये इस प्रयोग में 550 छाा-छात्राओं ने हिस्सा लिया था और सभी के प्रयोग सफल रहे। गिनीज वल्र्ड रिकॉड्र्स की ओर से एडजुडिकेटर ऋषिनाथ ने स्कूल को विश्व कीर्तिमान का प्रमाणपा दिया।
इससे पिछला कीर्तिमान अमेरिका के सिएटल चिल्ड्रेन रिसर्च इंस्टीट््यूट में वर्ष 2017 में बनाया गया था जिसमें 302 बच्चों ने सफलतापूर्वक केले का डीएनए अलग किया था।

इसके साथ ही आज समय के लिहाज से भी बच्चों ने रिकॉर्ड बनाया और डेमो समेत पूरी प्रक्रिया एक घंटा एक मिनट में पूरी की जबकि सिएटल में यह प्रक्रिया 90 मिनट में पूरी की गयी थी। प्रयोग में हिस्सा लेने वाले छाा सौम्या, तरिषा और तनिष्क ने बताया कि उन्हें विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली टीम में शामिल होने की खुशी है। प्रयोग के लिए छाा-छाााओं का चयन उम्र के आधार पर किया गया था और इसमें आठवीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चे शामिल थे।

प्रयोग शुरू करने से पहले छात्रों को डीएनए और उसकी खूबियों के बारे में जानकारी दी गयी। इसके साथ ही प्रयोग का एक डेमो भी दिया गया। उन्हें बताया गया कि केले के डीएनए इंसानों के डीएनए से 90 प्रतिशत मिलते हैं। इनके 50 प्रतिशत जेनेटिक कंपाउंड भी इंसानों के समान हैं।

प्रयोग से पहले अरिंदम, आरुधि और दिव्यांश ने बताया कि उन्होंने पहले एक बार मॉक तैयारी में यह प्रयोग किया हुआ है और उन्हें पूरा विश्वास है कि वे प्रयोग सफलतापूर्वक कर लेंगे।  गिनीज वल्र्ड रिकॉड्र्स के प्रतिनिधियों के अलावा हर 48 छात्रों पर एक वैज्ञानिक स्वतंत्र निरीक्षक की भूमिका निभा रहे थे।

सबसे पहले छात्रोंं ने केले को खूब अच्छी तरह मसलकर पेस्ट तैयार किया। इसके बाद उसमें बफर सॉल्यूशन मिलाया गया। फिर इस गाढ़े तरल को फिल्टर कर उससे प्राप्त पतले तरल को अवक्षेपण के लिए छोड़ा गया। कुछ देर बाद डीएनए का अवक्षेप तैयार हो गया। मेले में रविवार को एक और विश्व कीर्तिमान बनाने का प्रयास किया जायेगा। इसके तहत करीब तीन हजार बच्चों को एक साथ एक ही जगह पर प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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