लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेस के द्वारा द्वितीय स्तत पैरामेडिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस पैरामेडिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम का विषय चिकित्साकर्मियों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा था। इस अवसर पर चिकित्साकर्मियों के लिए कार्यस्थल सुरक्षा विषय पर आधारित एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। यह पुस्तक हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपस्थित कुलपति ने कहा कि ज्ञान ही विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है। ज्ञान के आधार पर ही कौशल विकास चिकित्साकर्मियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान उन्होंने यह भी सलाह दी कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन में अन्य पैरामेडिकल संस्थाओं के भी प्रतिभागियों को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक जनमानस को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ मिल सके।
कुलपति ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं से अनुशासित रहने की अपील करते हुए कहा कि इंटरनेट का प्रयोग अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए करना चाहिए।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक एवं अधिष्ठाता पैरामेडिकल डॉ. विनोद जैन ने बताया कि इस प्रकार की स्तत पैरामेडिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम अपने आप में अनूठा है क्योंकि इसमें छात्र-छात्राओं द्वारा ही विषय विशेष पर अपना प्रस्तुतिकरण तैयार किया गया है तथा इसका मूल्यांकन भी इन्हीं के द्वारा किया जाएगा।
डॉ. विनोद जैन ने बताया कि इस विधि से कार्यक्रम का आयोजन करने से छात्र-छात्राओं में विषय को पढ़ने एवं आचरण करने में रूचि जागृत होगी। उन्होंने बताया कि शिक्षण कार्यक्रम के आरम्भ में प्री-टेस्ट के माध्यम से उनके ज्ञान का स्तर पता किया गया तथा कार्यक्रम के बाद उन्हीं सवालों का पोस्ट टेस्ट के द्वारा यह मूल्यांकन किया गया कि छात्र-छात्राओं को कितना लाभ पहुंचा, जिसका विश्लेक्षण करने करने पर यह जानकारी मिली कि लगभग 90 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने पोस्ट टेस्ट में प्री-टेस्ट के मुकाबले ज्यादा नंबर हासिल किए।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. जीपीसिंह ने बताया कि रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सक, नर्स एवं पैरामेडिक इन तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन तीनों पर रोगी की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी होती है, परन्तु इन्हें अपनी सुरक्षा के प्रति भी जागरूक होना पड़ेगा। इसके लिए इस सुरक्षा का ज्ञान आवश्यक है।
इस अवसर पर अधिष्ठाता नर्सिंग प्रोफेसर मधुमति गोयल ने कहा कि छोटी-छोटी सुरक्षा विधियां बड़े परिणाम देती हैं। जैसे कि दस्ताने पहन कर मरीजों की सेवा करना, अपने हाथों को साफ रखना एवं सीरींज आदि का सही ढंग से इस्तेमाल करना। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सभी चिकित्साकर्मियों को मरीजों के प्रति मधुर व्यवहार रखना चाहिए।
डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. अनित परिहार ने अपने संबोधन में बताया कि चिकित्साकर्मियों द्वारा अनुशासित रहने व निर्धारित नियमों का पालन करने से न केवल रोगियों की सुरक्षा होगी बल्कि वह स्वयं भी सुरक्षित रहेंगे।
इस अवसर पर चिकित्सलय प्रशासन के प्रो.नीतिन भारद्वाज ने चिकित्साकर्मियों से सुरक्षा संबंधी गाइड लाइंस को तैयार करने एवं उसके पालन पर जोर देते हुए कहा कि यह आज के समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. अनित परिहार एवं कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. अंकिता जौहरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में ट्रांसफयूजन मेडिसन की विभागाध्यक्ष डॉ. तुलिका चंद्रा, नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर एसकेभास्कर एवं पैरामेडिकल विभाग के समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।
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