लखनऊ। आईसीयू में वेंटीलेटर पर रहने वाले मरीजों में सही तरीके से फिजियोथिरेपी देकर निमोनिया, निमोनिक पैच, लंग कोलेप्स सहित तमाम परेशानियों को कम किया जा सकता है। फेफडे में संक्रमित रुााव होता है जिसे इस तकनीक से स्राव को फेफडे से निकाल कर ट्रेकिया में लाते जहां से सक्शन कर स्राव को बाहर निकाल देते है इससे फेफडे में संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। संजय गांधी पीजीआई में क्लीनिकल स्किल अपडेट आन फिजियोथिरेपी टेक्निक पर आयोजित सीएमई में डा. सूरज कुमार, डा. बृजेश त्रिपाटी, डा. संदीप शर्मा और डा. राजेंद्र कुमार ने बताया डा. संतोष उपाध्याय ने बताया कि फिजियोथिरेपी की भूमिका शरीर के जोड़ो तक ही सिमित नहीं है। पेट आदि जहां जोड़ नहीं है उसकी फिजियोथिरेपी कर शरीर के भीतरी अंगो को मोबलाइज कर कब्ज, अपच, भूख न लगना, शरीर में दर्द और सिर दर्द की परेशानी दूर की जा सकती है। सिर दर्द के 40 फीसदी मामलों में पेट की परेशानी कारण साबित होती है। वर्तमान की प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
सीएमई का उद्घाटन अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन, कार्डियक सर्जन प्रो.एसके अग्रवाल, निश्चेतना विभाग के प्रो. देवेंद्र गुप्ता और एमएस डा.एके भट्ट ने करते हुए कहा कि फिजियोथिरेपी के जरिए 40 से 50 फीसदी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। गर्भावस्था के दौरान और बाद में परेशानी होती है। इस अवस्था में फिजियोथिरेपी लेकर तमाम परेशानियों से बचा सकता है। ने बताया कि गर्भावस्था के दौरा फिजियोथिरेपी लेने से सर्जरी की आशंका 30 से 40 फीसदी तक कम हो जाती है। प्रसव के बाद गर्भावस्था के पहले का फिजिक भी पाया जा सकता है। महिलाएं कई बार फिजिक में खराबी के कारण परेशान रहती है।
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