लखनऊ। दीपावली आते ही तंत्र मंत्र व साधना के लिए दुर्लभ उल्लुओं की जान की मुश्किले बढ़ जाती है, क्योकि तंत्र साधना से जुड़े लोग दीपावली पर इसकी बलि चढ़ाने के लिए तलाशना शुरू कर देते है। इस संबंध में वन कर्मियों को सर्तक कर दिया गया है। जहां पर उल्लू पाये जाते है, ताकि कोई भी शिकारी बलि चढ़ाने के लिहाज से उल्लुओं को पकड़ने मे कामयाब नहीं हो । दीपावली पर्व के मद्देनजर चंबल इलाके से दुर्लभ प्रजाति के उल्लुओ की तस्करी की जाती है। इसको लेकर विभागीय कर्मचारियों को सतर्क कर दिया गया है ।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंबल के उल्लुओं की कई दुर्लभ प्रजातियों की जबरदस्त मांग है । यही वजह है कि चंबल के बीहड़ी इलाकों में उल्लू तस्करों का निशाना बन रहे हैं और इन्हें तस्करी कर दिल्ली, मुंबई से लेकर जापान,अरब और यूरोपीय देशों में भेजे जाने की बाते कही जाती है । दीपावली पर्व से काफी पहले से ही तस्कर उल्लुओं की तलाश में चंबल का चक्कर लगा रहे हैं ।
बताते है कि आमतौर पर आर्थिक रूप से सुदृढ़ लोग ही पूजा में उल्लुओं का प्रयोग करते हैं क्योंकि इस प्रजाति के उल्लू आसानी से सुलभ न होने के कारण इसकी कीमत लाखों रुपए होती है, जानकारों की मानें तो दिल्ली एवं मुंबई जैसे महानगरों में बैठे बड़े-बड़े कारोबारी इन तस्करों के जरिए संरक्षित जीव की तस्करी में जुट गए हैं इतना ही नहीं तंाविद्या से जुडे लोगों की माने तो इस पक्षी के जरिए तमाम बड़े-बड़े काम कराने का माद्दा तांािक प्रकिया से जुड़े लोग करने में सक्षम रहें हैं, अगर बंगाल का ही जिक्र करें तो वहां पर बिना उल्लू के किसी भी तंत्र क्रिया नहीं की जाती है।
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