लखनऊ – यदि ब्रेन ट्यूमर छोटा है तो बिना सर्जरी से उसे ठीक किया जा सकता है। यही नही मरीज अगले दिन घर भी भेजा जा सकता है। ऐसा स भव है रेडियोसर्जरी से तकनीक से बहुत आसान हो गया है। मुम्बई जैसे बड़े शहरों में ऐसे ब्रोन ट्यूमर में रेडियोसर्जरी ही की जाती है, पर यूपी में यह तकनीक नहीं है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को इस तकनीक से सर्जरी करने के लिए प्रयास करना चाहिए। यह बाते सीएमसी वेल्लौर के न्यूरोसर्जन डा. वेदान्तम राजशेखर ने केजीएमयू के न्यूरोसर्जरी विभाग के 58वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में कही। मुख्य अतिथि प्रो. राजशेखर ने बताया कि ब्रोन ट्यूमर के इलाज के लिए रेडियोथिरेपी सबसे कारगर है।
तीन सेंटीमीटर से छोटे जितने भी ट्यूमर होते हैं उन्हें निकालने के लिए सिर को खोलकर सर्जरी की जरुरत नहीं है। उन्हें बाहर से रेडिएशन देकर हटाया जा सकता है और यही नही मरीज को भर्ती करने की भी आवश्यकता नहीं है। इसके लिए गामा नाइफ का प्रयोग किया जाता है। प्रो. वेदान्तम ने कहा कि केजीएमयू में रेडियोसर्जरी शुरू करें ताकि मरीजों को और सुविधाएं मिल सकें। इस पर प्रो. भट्ट ने कहा कि वह इस दिशा में प्रयास करेंगे तथा उ मीद है कि जल्द ही मशीन ले ली जाएगी। स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान केजीएमयू न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीके ओझा ने विभाग के इतिहास को दोहराते हुए उपलब्धियां गिनायीं।
वर्ष 1961 में प्रो. पीएन टण्डन ने न्यूरोसर्जन के रूप में केजीएमयू ज्वाइन किया था उस समय यह सर्जरी विभाग के अधीन था। आज केजीएमयू का न्यूरोसर्जरी विभाग प्रदेश के गिने चुने बेहतरीन न्यूरोसर्जरी विभाग में से एक है।
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