बच्चों में कैंसर हो सकता है जेनेटिक

0
922

लखनऊ। बच्चों में होने वाला 20 प्रतिशत कैंसर जेनेटिक होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कैंसर होने का 80 प्रतिशत कारण तंबाकू, धूम्रपान करने से होता है। उन्होंने बताया कि पुरूषों में मुंह, गले और आहारनाल को कैंसर कॉमन है, इसका पुरूषों में 50 प्रतिशत है। यह बात एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑनकोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व मुख्य अतिथि डॉ. राजेश वशिष्ठ ने सोमवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में रेडियोथेरेपी व रेडियोलॉजी विभाग के 32 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही। केजीएमयू के शताब्दी फेज दो के ऑडिटोरियम में स्थापना दिवस समारोह हुआ।

Advertisement

कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. शालीन कुमार ने कहा कि कैंसर के अधूरे इलाज से फैलने की रफ्तार तेज हो सकती है। दूसरे अंग कैंसर की चपेट में आ जाते है। विशेषज्ञ की सलाह पर कैंसर का पूरा इलाज करना चाहिए। कैंसर का ऑपरेशन, दवाएं व रेडिएशन डॉक्टर की सलाह पर ही कराये। इसमें देरी करने से बचना चाहिए। डॉ. कुमार ने कहा कि ऑपरेशन के बाद कैंसर छूटी कोशिकाएं को रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी से खत्म की जाती हैं। कई बार मरीज ऑपरेशन करा लेते हैं। डॉक्टर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की सलाह देते हैं। इसे तत्काल परामर्श के अनुसार करा लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कैंसर विशेषज्ञ तैयार करने के लिए भारत में यूके (यूनाइटेड किंडम) कोर्स संचालित करने का प्रस्ताव है। कैंसर विशेषज्ञ तैयार करने के लिए कोर्स में तब्दीली की जा रही है।

अब कैंसर विशेषज्ञ तैयार करने के लिए एमबीबीएस के बाद एक प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। क्लीनिकल इंट्रीग्रेटेड रेडियोथेरेपी या फिर क्लीनिकल आंकोलॉजी नाम से कोर्स संचालित किये जाने की तैयारी है। यह पाठ¬क्रम छह वर्ष का होगा। इसमें शुरुआत दो साल कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के बारे में पढ़ाया जाएगा। उसके बाद रेडिएशन की बारीकियां सिखाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि एमबीबीएस के बाद छात्र इंटर्नशिप करते हैं। अब इंटर्नशिप नाम की रह गई है। छात्र पीजी की तैयारी करते हैं। पहले इंटर्नशिप के साथ तीन साल की हाउस जॉब कराई जाती है। मरीज के संपर्क में आने से डॉक्टर को अच्छा प्रशिक्षण मिल जाता था। इसके मद्देनजर छह वर्षीय कोर्स प्रभावी होगा। उन्होंने बताया कि कोर्स में तब्दीली के लिए एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑकोलॉजी ऑफ इंडिया ने प्रस्ताव सौंप दिया गया है।

केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि यदि मल के साथ खून आ रहा है। लगातार कब्ज बनी रहती है। शौच के रास्ते में दर्द हो रहा है तो इसे लंबे समय तक नजरअंदाज न करें। यह बड़ी आंत के सबसे नीचे के हिस्से का कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है। समय पर जांच से बीमारी को शुरुआत में पकड़ सकते हैं। इसका पुख्ता इलाज है।

डॉ. सिंह ने कहा कि खान-पान का तौर तरीका बदलने से शौच के रास्ते का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। अब लोग फाइवर युक्त भोजन कम खाते हैं। आटा बारीक पिसाकर खाते हैं। मैंदा और फास्ट फूड लोगों को भा रहा है। इससे तमाम तरह की बीमारी पनप रही है। उन्होंने कहा कि कुल कैंसर में 10 प्रतिशत मरीज इस तरह के कैंसर की जद में हैं।

केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि रेडियोथेरेपी व रेडियोलॉजी विभाग में मरीजों को आधुनिक इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। रेडियोथेरेपी विभाग में जल्द ही कोबाल्ट बेस्ट ब्रेकी थेरेपी मशीन स्थापित की जा रही है। करीब दो करोड़ रुपये की लागत से मशीन स्थापित की जाएगी। इससे कैंसर मरीजों की सिकाई आसान होगी। वहीं रेडियोलॉजी विभाग में शताब्दी में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन लगाई जाएगी।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleदिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर फ्लाईओवर का कुछ हिस्सा गिरा
Next articleगायब पति को तलाश कर सौंपा जच्चा- बच्चा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here