अनुभव के आधार पर तय करें लाइन ऑफ ट्रीटमेंट

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लखनऊ। एवीडेंस बेस्ड मेडिसिन का कॉन्सेप्ट एक स्तर तक तो ठीक है, परन्तु सभी मरीज के लिए उसे आधार बना कर लाइन आफ ट्रीटमेंट तय करना गलत है। ज्यादातर शोध हुए है, उनका आधार यूरोप व अन्य देशों में हुई शोध व अध्ययन है। ज्यादातर शोध यहां के मरीज के इलाज की कसौटी पर खरा नहीं उतरते है। यह जानकारी पीजीआई चण्डीगढ़ के आर्थोपैडिक सर्जन डॉ. मनदीप सिंह ढिल्लन ने दी। वह किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपैडिक सर्जरी विभाग के 67वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट, विभागाध्यक्ष प्रो. जीके सिंह, विभाग के सरंक्षक डॉ. यूके जैन तथा डॉ. ओपी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

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डॉ. ढिल्लन ने कहा कि किसी भी प्रकार का इलाज तथ्यपरक व अनुभवी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो लगभग सभी मरीज की फिजियालॉजी अलग तरह की होती है। इलाज के दौरान मरीज की बीमारी के लक्षणों के साथ उसकी शारीरिक स्थिति को देखकर इलाज करना चाहिए। सिर्फ पुस्तकों में दर्ज बीमारी के लक्षणों को इलाज का आधार नहीं मानना चाहिए। हमें अपने अनुभव के आधार पर इलाज करना चाहिए। डॉ. ढिल्लन ने कहा कि मरीज जब भी डाक्टर के पास आता है वह अपना उच्च स्तर का इलाज मानकर चलता है। सभी डाक्टर लगातार अपडेट रहना चाहिए। किताबों से ज्ञान ले और अपने अनुभव का प्रयोग करें, ताकि मरीज की बीमारी कम से कम समय में दूर की जा सके।

विभागाध्यक्ष प्रो. जीके सिंह ने विभाग की वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए विभाग के एक संक्षिप्त इतिहास, गतिविधियों एवं उपलब्ध्यिों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में चार नए विभाग की शुरूआत होने वाली है, जिसमें से दो नए विभाग पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक एवं स्पोर्ट्स मेडिसन विभाग शुरू किए जा चुके है तथा बाकी के दो अन्य विभाग स्पाइनल सर्जरी एवं आरर्थोप्लास्टी विभाग जल्द ही शुरू किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने जानकारी दी कि यह चारो विभागों में रोगियों के लिए 60-60 बेड की व्यवस्था होगी। स्पाइन सर्जरी विभाग प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का इकलौता व पहला विभाग होगा, जहां रीढ़ की हड्डी की बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज हो सकेगा।

केजीएमयू कुलपति ने कहा कि आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग ने अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के माध्यम से रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य किया है। चिविवि आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग मौजूदा समय में देश के श्रेष्ठ आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में से एक है। प्रो. जीके सिंह जो इसी माह सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने पर कुलपति एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ डाक्टरों द्वारा प्रतीकचिन्ह देकर सम्मानित किया। प्रो. आरएन श्रीवास्तव ने कहा कि आर्थोपैडिक विभाग के चिकित्सकों को जल्द ही स्टेम सेल लैब की सुविधा मिलेगी। अभी तक स्टेम सेल निकालने के लिए विभाग के डाक्टरों को ट्रांस यूजन मेडिसिन विभाग जाना पड़ता है। जल्द ही यह लैब आर्थोपैडिक विभाग में ही खुल जाएगी। प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कुलपति कार्यालय भेजा जा चुका है और वित्त अधिकारी के अनुमोदन के साथ ही मशीन क्रय कर ली जाएगी ,जिसके बाद लैब आर भ हो जाएगी। इस अवसर पर डॉ. आरएन श्रीवास्तव, ऐरा मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अब्बास अली मेंहदी, प्रो. आरएन श्रीवास्तव, प्रो. गिरिश शर्मा, प्रो. ओपी सिंह, प्रो. यूके जैन व प्रो. संतोष कुमार समेत कई चिकित्सक मौजूद थे।

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