श्वसन नली की सिकुड़न को जटिल सर्जरी से किया दूर

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ शैलेंद्र यादव और उनकी टीम ने सांस की नली का एक जटिल सर्जरी करके मरीज को नई जिंदगी दी। ट्रैकिया स्टेनोसिस तकनीक से की गई सर्जरी में मरीज की सिकुड़ी हुई सांस नली का एक भाग काट कर निकाल दिया और उसकी जगह ट्रैकियल ट्यूब से दूसरे भाग को जोड़ रखा है। कुछ दिन बाद उसकी दूसरी सर्जरी करके उसकी सांस नली यानी कि ट्रेकिया की पूरी सिकुड़न को ठीक करके फिर जोड़ दिया जाएगा ताकि मरीज ठीक से सांस ले सके।

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डॉ शैलेंद्र यादव ने बताया ट्रेकिया सांस नली का ऊपरी हिस्सा है, इस सांस नली में अक्सर कई तरह की दिक्कतें आ जाती है। खासकर जब मरीज आईसीयू में लंबे समय तक श्वसन नली में ट्यूब लगाकर सांस लेता है और भर्ती रहता है। इस दौरान ट्यूब रहने के कारण सिकुड़न आ जाती है। श्वसन नली की सिकुड़न को दूर करने का इलाज बहुत कठिन है क्योंकि एक ही सांस का मार्ग है और वह बहुत ही संवेदनशील होता है। डॉ यादव ने बताया उनके यहां ईएनटी विभाग में अजीत नाम का 26 वर्षीय मरीज भर्ती हुआ सांस की गंभीर दिक्कतों के साथ उसे एक पत्नी नली के द्वारा सांस दी जा रही थी। मरीज को जब सर्जरी की सलाह दी गई और उसे हमारे यहां सर्जरी के लिए भेजा गया तो जांच पड़ताल में लगा की मरीज को बाईपास सर्जरी की भी जरूरत हो सकती है, जो कि जर्नल सर्जरी विभाग में नहीं हो सकता है।

मरीज और उसके परिजनों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद जनरल सर्जरी विभाग में ही बिना बाईपास के सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। डॉ शैलेंद्र यादव ने बताया उनकी टीम में डॉक्टर रमन और उनके सहयोगी साथियों की मेहनत से 26 दिसंबर की रात में इस सर्जरी को किया गया। इस संवेदनशील सर्जरी में छाती की बीच की हड्डी को काटने के बाद सांस नली के सिकुड़े हुए भाग को निकाल दिया गया। इसके बाद निकाले हुए स्थान की जगह ट्रैकियल ट्यूब को लगा दिया गया।

यादव का कहना है अभी मरीज क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती है और बेहतर तरीके से सांस ले रहा है परंतु श्वसन नली को यानी ट्रेकिया को पूरी तरह से सिकुड़न से मुक्त करने के लिए दूसरी सर्जरी की आवश्यकता होगी। क्योंकि लगभग डेढ़ से 2 महीने में की जाएगी। उन्होंने बताया सेकंड स्टेज की सर्जरी में मरीज की शेष बची हुई ट्रेकिया ऊपर नीचे से एक विशेष तकनीक के द्वारा खींचकर के कटी हुई श्वसन नली को पूरा किया जाएगा ताकि श्वसन नली बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से अपना काम कर सके इस सर्जरी के बाद मरीज के श्वसन नली की सिकुड़न पूरी तरह से दूर हो जाएगी और वह ठीक तरह से सांस ले सकेगा। बताया यह सर्जरी काफी जटिल होती है परंतु उनकी टीम ने कड़ी मेहनत करके उनके साथ इस सर्जरी को सफल बनाया है।

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