लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्थित चिकित्सा का आलम यह है कि पद्मश्री अवार्डी कृष्ण राम चौधरी (74) को सर्जरी के बाद आईसीयू में बिस्तर न मिलने पर परिजनों को होम मिनिस्ट्री से मदद की गुहार लगानी पड़ी। तब कहीं जाकर 24 घंटे बाद बिस्तर दिलाया गया। लेकिन वहां बेड खाली नहीं होने से आरएसओ वार्ड में भर्ती कर दिया गया। इस दौरान परिजन मरीज को एंबुबैग से ऑक्सीजन देते रहे। बेड के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें टरकाया जाता रहा। परेशान होकर परिवारीजनों ने होम मिनिस्ट्री को मेल कर पूरे मामले की सूचना दी। तब जाकर 24 घंटे बाद बेड दिलाने की कवायद शुरू हुई।
प्रयागराज निवासी कृष्ण राम चौधरी के बेटे जयशंकर चौधरी ने बताया कि दस दिन से मलत्याग में दिक्कत हो रही थी। इस कारण पेट में सूजन आ गयी। परिजनों ने स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया गया ,लेकिन सटीक इलाज नहीं हो पाया। फिर उन्हें पांच जनवरी को वही पर स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया, तो जांच के बाद डाक्टरों ने आंतों में सिकुड़न होने की दिक्कत बतायी आैर सर्जरी से निदान बताया। डाक्टरों ने सर्जरी के लिए पीजीआई रेफर कर दिया। परिजन पीजीआई में मंगलवार की सुबह लेकर पहुंचे ,लेकिन वहां भर्ती करने से मना कर दिया गया। उनकी हालत बिगड़ने पर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर लेकर आए और यहां ट्रॉमा गैस्ट्रो विभाग में भर्ती किया आैर मंगलवार की ही शाम करीब छह बजे सर्जरी हो गयी। हालत गंभीर होने के कारण आईसीयू भेज दिया गया। वहां पहुंचने पर बिस्तर खाली नहीं है बताकर वेंटिग में कर दिया गया। वेंटिग में करीब 24 घंटे लग गए।
जयशंकर ने बताया कि इस दौरान हम लगातार एंबुबैग से ऑक्सीजन देते रहे। कई बार डॉक्टरों और केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारियों से मुलाकात करके वार्ता की गयी, लेकिन कोई बात नहीं बनी। हालत बिगड़ रही थी आैर आईसीयू में शिफ्ट नहीं हो पा रहे थे। कोई निदान न होने व लगातार उपेक्षा के चलते होम मिनिस्ट्री को मेल कर अपनी समस्या बताई। इसके बाद बुधवार की शाम करीब पांच बजे से बिस्तर देने की कवायद शुरू हुई और देर शाम बिस्तर मिल गया।
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