न्यूज। स्वाइन फ्लू का कहर धीरे धीरे पूरे देश में बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर बरपने लगा है। यहां पिछले बीस दिनों में स्वाइन फलू से पीडित 11 व्यक्तियों की मौत हो जाने के बीच स्वास्थ्य अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रदेश के अस्पतालों में एच1 एन1 वायरस से पीड़ित रोगियों के उपचार के लिये दवाइयों सहित सभी कारगर व्यवस्थायें मौजूद हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डा ताराचंद्र पंत ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि इस माह की शुरूआत से लेकर अब तक राज्य में स्वाइन फलू के 25 मामले सामने आये हैं जिसमें से 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस रोग के 11 मरीज अभी भी विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं जिनका उपचार किया जा रहा है जबकि तीन अन्य मरीजों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
एच1 एन1 वायरस के कारण प्रदेश में आखिरी मौत कल एक बच्चे की हुई है जो उत्तरकाशी जिले के डुंडा जिले का रहने वाला था। गत 21 जनवरी को यहां के श्री महंत इन्द्रेश अस्पताल में भर्ती कराये गये एक वर्षीय अनुराग ने कल दम तोड़ दिया था। प्रदेश में स्वाइन फलू से पीड़ित रोगी की मृत्यु का पहला मामला तीन जनवरी को सामने आया था जब मैक्स अस्पताल में भर्ती 61 वर्षीय प्रेम मोहन काला की मौत हो गयी। काला को अस्पताल में 26 दिसंबर को भर्ती कराया गया था।
हालांकि, डा पंत ने दावा किया कि इस बीमारी से निपटने के लिये प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से तैयार है आैर दवाइयों के पर्याप्त भंडार के साथ ही प्रत्येक जिला एवं बेस चिकित्सालय में एच1एन1 आइसोलेशन वार्ड स्थापित कर दिये गये हैं जिनमें 176 बिस्तर उपलब्ध हैं। बीमारी से हो रही मौतों के बारे में डा पंत ने कहा कि स्वाइन फलू से दम तोडने वाले ज्यादातर मरीजों को इस बीमारी के अलावा अन्य कई बीमारियां भी थीं जिसके कारण वे इस रोग का मुकाबला नहीं कर पाये।
उन्होंने कहा कि स्वाइन फलू एक ‘सीजनल इन्फ्लुएन्जा” की तरह ही है जो साधारण सर्दी-जुकाम की तरह होता है आैर स्वत: ठीक हो जाता है लेकिन मधुमेह रोग से पीड़ित होने तथा कम उम्र के बच्चे आैर अधिक उम्र के लोगों पर इसका असर जानलेवा हो सकता है। डा पंत ने कहा कि इस बीमारी की रोकथाम का सबसे कारगर उपाय यही है कि इसके लक्षण होने पर शीघ्र की चिकित्सकीय परामर्श लें आैर लोगों से मिलने-जुलने से परहेज करें।
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