लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ 50 वां किडनी प्रत्यारोपण करके गोल्डन जुबली ईयर बनाने जा रहा है। इसके साथ ही यहां के विशेषज्ञ रिसेप्टर या डोनर का ब्लडग्रुप न मिलने पर भी किडनी प्रत्यारोपण करने की तैयारी कर चुके है। इस तकनीक से जल्द ही किडनी प्रत्यारोपण शुरू हो जाएगा। यह जानकारी संस्थान के निदेशक डा. एके त्रिपाठी ने दी। संस्थान में आयोजित किडनी दिवस की पूर्वसंध्या पर आयोजित पत्रकार वार्ता में नेफ्रोलॉजी विभाग के डा. अभिलाष चंद्रा, डा. आलोक भी मौजूद थे।
डा. त्रिपाठी ने कहा कि दिसम्बर वर्ष 2016 में पहला किडनी प्रत्यारोपण किया गया था। इसके बाद संस्थान लगातार किडनी प्रत्यारोपण में सफलता प्राप्त करता रहा। अब संस्थान 50 वें किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि एबीओ इनकॉम्बिटेबल तकनीक से किडनी प्रत्यारोपण करने जा रहा है। इसमें रिसेप्टर आैर डोनर का ब्लड ग्रुप न मिले तो भी किडनी प्रत्यारोपण हो सकेगा। नेफ्र ोलॉजी विभाग के डा. अभिलाष ने बताया कि इस तकनीक से किडनी प्रत्यारोपण में थोड़ा सा खर्च अधिक हो जाएगा। उन्होंने बताया कि देश में प्रति वर्ष दो लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है, परन्तु सात आठ हजार लोगों का ही प्रत्यारोपण हो पाता है।
संस्थान में हो रहे किडनी प्रत्यारोपण में 12 से 45 वर्ष तक के मरीज शामिल है। डा. अभिलाष ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण मात्र से ही सफलता नही मिलती है बल्कि मरीज को सावधानी बरतनी पड़ती है, जिसे नियमित दवाओं का सेवन, मास्क लगाना,साफ सफाई का ध्यान रखना होता है। उन्होंने बताया कि 35 वर्ष के बाद समय पर ब्लड व यूरीन की जांच कराते रहना चाहिए। यूरोलॉजी विभाग के डा. आलोक ने बताया कि ज्यादा शराब का सेवन,सिगरेट, नमक के सेवन से दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा प्रोस्टेट की समस्या, संक्रमण तथा आनुवंशिक कारणों से किडनी की बीमारी हो सकती है।
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