लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पैथोलॉजी जांच शुल्क में ऑनलाइन सिस्टम का हवाला देकर मरीजों को मनचाहा शुल्क वसूल कर लिया जाता है। यहां पर मरीजों से निर्धारित शुल्क से बारह गुना तक अधिक शुल्क वसूल कर लिया गया। सोमवार को जांचों को दोबारा कराये तीमारदार ने एक घंटे के अंदर ही एक जांच के अलग-अलग शुल्क देखकर होश फाख्ता हो गये।
पारदर्शी व्यवस्था के तहत केजीएमयू प्रशासन ने विभिन्न विभागों में पैथोलॉजी काउंटर बना दिये हैं। इनमें कंप्यूटर से ऑनलाइन बिलिंग का सिस्टम है। फिर भी एक ही जांच के मरीजों से अलग-अलग शुल्क वसूल लिया जाता है। शुल्क भी दोगुना ही नहीं, बल्कि निर्धारित शुल्क से 12 गुना तक कर्मचारी अधिक पैसा ले रहे हैं। ट्रामा सेंटर में तीमारदार बाबूलाल ने पुत्री रेखा की एक जांच दस बजे कराई, वहीं 11 बजे दोबारा जांच कराई गयी। इसमें किडनी फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) के एक रसीद में 60 रुपये शुल्क काटा गया। वहीं कंप्यूटर से काटी गई दूसरी रसीद में केएफटी का 200 रुपये शुल्क वसूला गया।
यहां एक शुल्क के बिल में लिवर टेस्ट 30 रुपये, दूसरे में 170 रुपये
यहीं नहीं मरीज रेखा से किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) की एक रसीद में तय 60 रुपये लिए गए। वहीं दूसरी रसीद में इसी जांच के 200 रुपये वसूले गए। ऐसे ही इलेक्ट्रोलाइट, सोडियम, पोटेशियम की तीनों जांचों का शुल्क 105 रुपये है। वहीं मरीजों से सिर्फ सोडियम के ही 105 रुपये शुल्क वसूला जा रहा है। यहां पर पीपीपी मॉडल पर पैथोलॉजी शुल्क है। इस दौरान कुल जमा शुल्क में केजीएमयू का प्रतिशत निर्धारित है। शेष लाभ कंपनी को जाता है। ऐसे में आशंका है कि मरीजों से मनमाना शुल्क वसूल कर कंपनी को लाभ तो नहीं पहुंचाया जा रहा है। आईटी सेल यूनिट के प्रमुख डा. संदीप भट्ाचार्य का तर्क है कि यह गंभीर मामला है। कंप्यूटर पर एक शुल्क के अलग-अलग दाम की रसीद कैसे काटी जा रही हैं। इसकी पड़ताल की जाएगी।
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