लखनऊ। विश्व मलेरिया दिवस की पूर्व संध्या पर सीएमओ डा. नरेद्र अग्रवाल ने बताया कि मलेरिया या मच्छर जनित बीमारियों से बचा जा सकता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने दी। इसके लिए हर रविवार मच्छरों पर वार तर्ज पर स्वास्थ्य विभाग काम करेंगा।
उन्होंने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस हर वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस की थीम है जीरो मलेरिया स्टार्ट विद मी, जिसका तात्पर्य है स्वयं को मलेरिया से मुक्त रखने की शुरुआत जन सामान्य तक इस संदेश को पहुंचाना है कि सर्वप्रथम स्वयं, फिर अपने परिवार को तत्पश्चात अपने मोहल्ले को , उसके बाद अपने समुदाय गाँव व कार्यालय को मलेरिया से मुक्त करें। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जनवरी 2019 से अभी तक 47,613 बुखार से पीड़ित लोगों की रक्त पट्टिका संग्रह की गयी है प्र् जिसमें 45 मलेरिया धनात्मक पाये गए।
उन्होंने बताया कि आशा, एएनएम एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर में हर रविवार मच्छर पर वार स्लोगन का प्रचार प्रसार कर समुदाय को मच्छरों के काटने से बचें ,इसके लिए लोगों को प्रेरित करेंगे। जिला मलेरिया अधिकारी डी एन शुक्ला ने बताया कि सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर रैपिड रिसपाँस टीम गठित की गयीं हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों में जाकर आवश्यकतानुसार कार्यवाही संपादित करती है। जनवरी 2019 से अभी तक आशाओं द्वारा 2789 ज्वर पीड़ितों की रक्त पट्टिका संग्रहित की गयी है ।खासकर गर्भवती महिलाएं व एक वर्ष से कम आयु के बच्चे बिना चिकित्सक की सलाह के दवाई आदि न लें।
क्या होता है मलेरिया।
मलेरिया एक ऐसी बीमारी होती है जो एक परजीवी बैक्टीरिया प्लाज्मोडियम द्वारा मादा एनाफिलीस मच्छर के काटने से होती है। यह बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें आँखों से नहीं देख सकते हैं। इन बैक्टीरिया के व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में फैलने से मलेरिया बुखार आता है।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया में जाड़ा व कंपन देकर 1-2 दिन छोड़कर तेज बुखार आता है और यह पसीने के साथ उतरता है। यह बुखार प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक रहता है। इसके अतिरिक्त रोगी को एनारोक्सिया ( खाना देखकर जी मिचलाना) व भूख कम लगती है और सिर तथा बदन में दर्द रहता है व उल्टियाँ होती हैं। बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजोरी होती है।
कैसे करें बचाव?
हर रविवार मच्छर पर वार कार्यवाही के अंतर्गत घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम का पानी साप्ताहिक अंतराल पर बदलते रहें, घर के आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखें, पानी एकत्र न होने दें। पानी एकत्रित होने वाले स्थानों को मिट्टी से भर दें , यदि संभव हो तो कुछ बूंद मिट्टी के तेल, जले हुये मोबिल आयल का अवश्य डाल दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों,नीम तथा सरसों के ते का खुले भागों पर लगाए, नीम की पत्ती का धुआं करें व पूरी आस्तीन का कपड़ा पहनें।
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