लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुलमुल रवैये से नयी पार्किं ग व्यवस्था में मरीज आैर तीमारदार बेहाल है। अब पार्किंग व्यवस्था को लेकर रेजीडेंट डाक्टरों व कर्मचारियांे में तनातनी हो गयी है। रेजीडेंट डाक्टरों का आरोप है कि केजीएमयू प्रशासन रेजीडेंट डाक्टरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। बताते चले कि केजीएमयू में नयी पार्किंग सुविधा शुरु किए जाने के बाद रेजीडेटों एवं कर्मचारियों के लिए पार्किंग शुल्क एक हजार रुपया प्रतिमाह निर्धारित किया गया था। इसका विरोध होने पर केजीएमयू प्रशासन ने कर्मचारियों, रेजीडेंटों एवं संकाय सदस्यों की संयुक्त बैठक बुलाई। इसमें निर्णय लिया गया कि रेजीडेंट केजीएमयू शिक्षण कार्य के लिए आते हैं।
ऐसी स्थिति में वे अपनी कार अथवा बाइक हॉस्टल में ही छोड़ कर पैदल परिसर में आएं। यदि किसी कारणों से वाहन ले आते हैं, तो उन्हें लाल रंग का स्टीकर दिया जाएगा, जिससे वे पार्किंग में निशुल्क अपनी कार या बाइक खड़ी कर सकेंगे। ज्यादातर विभागों में कर्मचारियों के लिए पहले से पार्किंग व्यवस्था है। इसलिए वे वहां अपने वाहन खड़े कर सकेंगे। इसके बाद भी उन्हें हरे रंग का स्टीकर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा रिजर्व पार्किंग सिर्फ फैकल्टी सदस्यों को उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि जल्द पहुंचने में कोई दिक्कत न हो। दो दिन पहले केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह को रिजर्व पार्किंग में वाहन खड़ा करने के लिए जगह उपलब्ध करा दी गई। शताब्दी अस्पताल में वाहन खड़ा करने के लिए डा. यादवेंद्र के बगल में कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष नाम की पट्टिका लगा दी गई।
इसकी जानकारी मिलते ही रेजीडेंट आक्रोशित हो गए। उन्हें पैदल चलकर केजीएमयू बुलाया जा रहा है आैर उनके लिए लगातार नये नियम बनाकर परेशान किया जा रहा है। सभी रेजीडेंटों ने एक जुट होकर पूरे मामले की शिकायत कुलपति और कुलसचिव से की है। उनका आरोप है कि यदि कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष को रिजर्व पार्किंग देकर रेजीडेंटों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कु लसचिव राजेश राय का कहना है कि कर्मचारियों को पार्किंग उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन संकाय सदस्यों की तरह अन्य किसी को रिजर्व पार्किंग नहीं दी जाएगी। इस प्रकरण को दिखवाया जा रहा है।
उधर कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह का तर्क है कि कर्मचारियों की ओर से चयनित प्रतिनिधि हूं। केजीएमयू प्रशासन से अनुरोध किया था। चिकित्सा अधीक्षक की अनुमति के बाद पट्टिका लगाई है। यदि केजीएमयू प्रशासन आगे जैसा भी करने के लिए कहता है तो वैसा ही किया जाएगा।
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