लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो लिवर प्रत्यारोपण में सफलता के बाद अंग प्रत्यारोपण नीति में परिवर्तन कर दिया है। यूरोलॉजी विभाग को ही रीनल ट्रांसप्लांट की जिम्मेदारी दी है। लिवर ट्रांसप्लांट की जिम्मेदारी सर्जिकल गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग को दी गयी है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट बनाई गई थी। इसके तहत लिवर और किडनी ट्रांसप्लाट की योजना थी। इसमें नेफ्रोलॉजी विभाग और गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग बाहरी रूप से सहयोगी की भूमिका में थे, केजीएमयू प्रशासन ने इसमें बदलाव किया है। एक मात्र नेफ्रोलॉजिस्ट के छोड़कर जाने के बाद रीनल ट्रांसप्लांट के लिए आए संकाय सदस्यों के इस्तीफा देने के बाद केजीएमयू में ट्रांसप्लांट व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई। अब केजीएमयू प्रशासन ने नीति बदल दी है।
सर्जिकल गैस्ट्रोइंटोलॉजी के सहयोग से दो लिवर ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल करने के बाद केजीएमयू प्रशासन ने आर्गन ट्रासंप्लांट यूनिट को दो हिस्से में बांट दिया है। इसके तहत रीनल ट्रांसप्लांट का जिम्मा अब यूरोलॉजी विभाग को दे दिया गया है। इस विभाग में जल्द ही नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाएगी। इसी तरह लिवर ट्रांसप्लांट की जिम्मेदारी निभा रहे सर्जिकल गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग में जल्द ही एक हेपेटोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाएगी। इसी तरह आर्गन ट्रासंप्लाटं के लिए स्वीकृत अन्य पदों का भी अलग- अलग बांटा जाएगा। बताते चले कि इसके लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण की अध्यक्षता में कमेटी गठित थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर व्यवस्थाओं को बांटा गया है। सीएमएस प्रोफेसर एसएन शंखवार ने बताया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इस पर महानिदेशक कार्यालय में हुई बैठक में भी सहमति बनी है।
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