लखनऊ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात पद से अधिक एडिशनल सीएमओ तैनात हैं, जिसमें एक अधिकारी ( डॉक्टर) का वेतन मानकों के विपरीत भी सीएमओ कार्यालय से जारी किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार बड़ी वित्तीय अनियमितता में आता है। इस गड़बड़ी की शिकायत उच्चअधिकारियों सहित स्वास्थ्य महानिदेशालय में की गयी है। महानिदेशालय ने शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दिये हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के तहत चलते वाले बाल महिला चिकित्सालय व सीएचसी पर मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों का टोटा बना हुआ है। यहां पर सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, र्ईएनटी समेत विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को वापस किया जा रहा है। आलम यह है कि संविदा पर भी डाक्टर तैनात नहीं हो पा रहे है। वहीं सीएमओ कार्यालय में अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों की लम्बी फेहरिस्त है। यहां पर मानकों को दर किनार करके स्वीकृत पद के सापेक्ष अधिक एडिशनल सीएमओ की तैनाती कर ली गयी है। यहां पर स्वीकृत पदों की संख्या नौ है, जबकि वर्तमान में तैनाती दस एडिशनल सीएमओ की चल रही है। वित्तीय जानकारों के अनुसार एक एडिशनल सीएमओ का वेतन मानकों के वितरीत निकाला जा रहा है।
यह वेतन निकालना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। कुछ दिन पहले इसकी की शिकायत शासन स्तर पर तथा महानिदेशालय में की गयी है, जिसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। इस बारे में सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि 9 पद स्वीकृत हैं, इसमें सात एडिशनल सीएमओ तैनात चल रही हैं। उनका कहना है कि पद के सापेक्ष अधिक एडिशनल सीएमओ तैनात होने मामले की शिकायत अभी मिली नहीं है। उधर स्वास्थ्य महानिदेशक डा. पद्यमाकर सिंह का कहना है कि सीएमओ को शासन पत्र भेजकर इसकी स्वीकृति लेनी चाहिए। शिकायत मिलने पर जांच करायी जाएगी।
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