शुक्र से प्रभावित जातक का चेहरा थोड़ा सा लंबा, सांवला, आकर्षक और मोहित करने के साथ-साथ थोड़ी आर्द्रता (नमी) लिए होता है। ऐसे व्यक्ति ज्यादातर दूसरों से बातचीत करने में बिलकुल भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करते हैं। इनके इसी गुण की वजह से दूसरों की उनमें रुचि बनी रहती है। ये देखा गया है कि शुक्र प्रधान जातक कभी भी स्वभाव से उदासीन नहीं रह सकता। जिस प्रकार शुक्र ग्रह सौर मंडल में थोड़ी रुमानियत के साथ मौजूद होता है। ठीक उसी प्रकार शुक्र प्रधान व्यक्तित्व भी अपनी रुमानियत जीवन भर बनाए रखता है।
कुंडली में शुक्र का अशुभ प्रभाव
जिस भी कुंडली में शुक्र पाप प्रभाव में नीच-अस्त या शत्रु गृही होता है या ये पाप ग्रहों द्वारा देखा जा रहा होता है तो इसका प्रभाव जातक पर बेहद अशुभ स्थितियाँ निर्मित कर देता है। यानि कमजोर व पीड़ित शुक्र से प्रभावित जातक वैभव-विलासिता की बजाय संन्यासी प्रवृत्ति अपना लेता है। ऐसे जातक ज्यादातर धन रहित उदासीन जीवन व्यतीत करते हैं और इनका प्रणय संबंध परवान चढ़ने से पहले ही भंग हो जाता है। इसकी वजह शुक्र ग्रह की शुष्क प्रवृत्ति है जो जातक को हर समय चिड़चिड़ा बनाए रखती है।
गोचर काल का समय
इसलिए सभी सांसारिक व भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए कुण्डली में शुक्र का मजबूत व शुभ प्रभाव होना अनिवार्य होता है। इसके अलावा शुक्र की कुंडली में विविध भावों में मौजूदगी भी जातक की किस्मत पर विशेष प्रभाव डालती है। समस्त ग्रहों में से बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह होते हैं और सूर्य व चंद्रमा उनके शत्रु ग्रह कहलाते हैं। इसके साथ ही शुक्र देव एक राशि में लगभग 23 दिन तक रहते हैं और उसके बाद वो दूसरी राशि में गोचर गति आरम्भ कर देते हैं। अब इसी शुक्र ग्रह ने 4 जून 2019, मंगलवार को प्रातः 11:11 बजे मंगल की राशि मेष से वृषभ राशि में गोचर किया। जो इस अवस्था में 29 जून 2019, शनिवार की प्रातः 01:21 बजे तक स्थित रहेगा। इस दौरान शुक्र के संचरण से सभी 12 राशियाँ प्रभावित होंगी।
इस लेख के माध्यम से हम ये जानेंगे कि आपकी राशि पर शुक्र के इस गोचर का क्या प्रभाव होगा। लेकिन उससे पहले आइये जानते हैं शुक्र का ये गोचर देश भर में क्या बड़े बदलाव लेकर आया है।
शुक्र और स्वास्थ्य :-
कई प्रकार के शुक्र जनित रोग जैसे: गुप्त रोग, स्त्री रोग, गर्भाशय, स्तन रोग, मूत्र अथवा मूत्राशय संबंधी रोग, आदि गोचर के दौरान कुंडली में शुक्र के अशुभ होने पर उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए चूँकि शुक्र का गोचर वृषभ राशि में हो रहा है इसलिए इसलिए इस राशि के जातकों को सूजन, टॉन्सिल्स, गाल संबंधी परेशानी, खांसी, मुंह एवं जीभ पर छाले उत्पन्न हो सकते हैं।
इस गोचर के दौरान शुक्र वृश्चिक राशि से सप्तम भाव में विराजमान होंगे, इसलिए इस राशि के जातकों को प्रमेह (थोड़ी-थोड़ी देर पर पेशाब लगना), गुल्म (शरीर पर उभर आने वाली गाँठ) आदि संबंधी रोग होने की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा तुला राशि में अष्टम भाव में शुक्र के स्थित होने पर जातक को शस्त्र, अग्नि, चोरी का भय रहता है।
इस गोचर के दौरान सिंह राशि वालों को ख़ासा सावधान रहने की ज़रूरत हैं क्योंकि ये गोचर उनके कई प्रकार के छोटे-बड़े रोगों से परेशान कर सकता है। चूँकि इस गोचर के दौरान शुक्र मेष राशि से द्वितीय भाव में गोचर करेगा, इसलिए इस राशि के जातकों को ह्रदय रोग, नेत्र संबंधी कोई समस्या एवं मानसिक पीड़ा हो सकती है।
– पंडित समीर झा “आचार्य”
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