यूपी: बीमारियों के ऑनलाइन रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया शुरू

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  • आरबीएसके एप से सेहत पर रखी जा रही नजर
  • स्क्रीनिंग व रेफरल ट्रैकिंग के लिए कारगर है एप
  • पिछले महीने दर्ज हुआ 20 हजार बच्चों का डाटा
  • 19 वर्ष तक के बच्चों की 38 बीमारियों डाटा दर्ज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पहली बार बच्चों की बीमारियों की ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके तहत एप के जरिये बीते एक माह में प्रदेश के 20 हजार बच्चों की 38 बीमारियों का ऑनलाइन ब्योरा दर्ज किया गया। अधिकारियों के अनुसार यह एप स्क्रीनिंग और रेफरल ट्रैकिंग के लिए बेहतर है।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के.) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गत माह मई में आर.बी.एस.के. स्क्रीनिंग मोबाइल एप शुरू किया गया है। इस एप के जरिये चिन्हित बच्चों के स्वास्थ्य की सतत निगरानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है । यह एप प्रमुखतः स्क्रीनिंग एवं रेफरल ट्रैकिंग के लिए बेहतर साबित हो रहा है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉक्टर मनोज कुमार शुक्ल के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में पहली बार एप के जरिये बच्चों की बीमारियों का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत बीते एक माह में प्रदेश के 20 हजार बच्चों की 38 बीमारियों का ऑनलाइन ब्योरा दर्ज किया गया। हाल ही में इस संबंध में सिफ़्सा/एनएचएम की ओर से करीब सभी मण्डल और जिलों पर तैनात स्वास्थ्य अधिकारियों और जनपद स्तर पर मोबाइल हेल्थ टीमों के अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है।

सिफ़्सा के महाप्रबंधक-रेमी बी.के.जैन ने बताया कि अब जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल (डी.आई.ओ.एस.) तथा नोडल अधिकारी- आर.बी.एस.के. द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य का सतत मूल्यांकन घर बैठे भी कर सकेंगे। सिफ़्सा के कार्यक्रम अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूलों व आंगनवाड़ी केन्द्रों पर किये जाने वाले परीक्षण की वार्षिक कार्ययोजना एप में अपलोड कर दी जायेगी। साथ ही किसी भी समय अगले 3 दिन का माइक्रोप्लान देखा जा सकेगा। इससे सभी स्कूल एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों को ससमय सूचना प्राप्त हो सकेगी।

क्या है योजना?

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 19 वर्ष के बच्चों में चार प्रकार की विसंगतियां की जांच की जाती हैं। इसमें डिफ़ेक्ट एट बर्थ, डेफ़िशिएंसी, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी , कमी और विकलांगता प्रमुख हैं। इसको 4-डी भी कहते हैं। इन कमियों से प्रभावित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम निःशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान कराता है। अभी यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। आरबीएसके की मोबाइल टीम के जरिये इनकी पहचान स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों पर की जाती है। संदर्भन के बाद व उन्हें सामुदायिक स्वास्थय केंद्र/जिला अस्पताल/ मेडिकल कॉलेज में रेफेर किया जाता है प्र्

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