लखनऊ। द विंसी रोबोट मशीन हाई डेफिनिशन थ्री-डी कैमरा से युक्त होती है। थ्री-डी हाई डेफिनिशन विजुअल सिस्टम के जरिए छोटे उपकरण शरीर में प्रवेश कराए जाते हैं। यह मानव हाथ से कहीं ज्यादा घूमते हैं। सर्जन ऑपरेशन के लिए अपने हाथ के बजाय तमाम हाथ वाले रोबोट का सहारा लेता है। सर्जन उसे गाइड करते हैं। एक तरह से यह कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से कंट्रोल होता है। इससे सर्जन जितने पॉइंट पर सेट करके रोबोट के हाथ को निर्देश देता है, वह उतने ही पॉइंट को काटता है। सर्जन डॉक्टर जहां 10 मिमी तक सटीकता के साथ काम कर सकते हैं, वहीं एक रोबोट एक मिमी की सटीकता के साथ। इस तरह इसकी एक्यूरेसी शत प्रतिशत रहती है।
देश में 300 से ज्यादा प्रशिक्षित रोबोटिक सर्जन
गौरतलब है कि देश भर में 300 से ज्यादा प्रशिक्षित रोबोटिक सर्जन हैं। रोबोटिक सर्जरी सामान्य सर्जरी से 50 हजार से 2 लाख रुपये तक महंगी है। फिलहाल रोबोटिक सर्जरी एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, एम्स ऋषिकेश समेत कई निजी अस्पतालों में सुविधा है। अब यह सुविधा उत्तर प्रदेश के एसजीपीजीआई में है, जो कि शनिवार से शुरू हो गई।
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