लखनऊ। लगातार तीस वर्षो से ब्लड कैंसर में क्रानिक मायलॉड ल्यूकिमीनिया ( सीएमएल) बीमारी पर शोध कर रहे प्रो. ए के त्रिपाठी को नेशनल एकेडमी मेडिकल साइसेंज इंडिया ने क्लीनिक रिसर्च के क्षेत्र का प्रतिष्ठित अवार्ड डा.वी आर खानोलकर देने की घोषणा की है। प्रो. त्रिपाठी वर्तमान में गोमती नगर स्थित डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में निदेशक के पद पर तैनात है। प्रो. त्रिपाठी ने ब्लड कैंसर की सीएमएल बीमारी के होने कारणों, वर्तमान में दवाओं के असर न होने तथा उसके मरीजों को होने वाली अन्य समस्याअों पर लगातार तीस वर्षो तक शोध किया है। शोध में मरीजों के लिए नयी दवाओं की खोज भी कर ली है।
खोजी गयी दवाअों पर सीडीआरआई के साथ क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है। प्रो. त्रिपाठी बताते है कि इन दवाओं में प्रयोग होने वाले साल्ट केमिकल का पेटेंट भी करा लिया गया है। दवाओं का जानवरों पर प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ब्लड कैंसर की पहचान भी जागरूकता के कारण बढ़ रही है। प्रो. त्रिपाठी का कहना है कि जो कि मरीज इलाज के लिए अंतिम दौर में इलाज के लिए पहुंचता है, वहीं जागरूकता के कारण जल्दी पहुंच जाता है। उनकी शनिवार को लोहिया संस्थान में ओपीडी चलती है, जिसमें पांच मरीज इस बीमारी के भी आ जाते है।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी का इलाज भी सम्भव है। सिर्फ मरीज को विशेषज्ञ डाक्टर की देखरेख में इलाज कराते हुए दवाएं ही लेनी होती है। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि लगातार तीस वर्षो तक लगातार इस बीमारी पर शोध करते हुए उन्होंने मरीज के इलाज में कई महत्वपूर्ण दवाओं की खोज की है। क्लीनिक रिसर्च के लिए नेशनल एकेडमी मेडिकल साइसेंज इंडिया ने भोपाल में होने वाले कार्यक्रम में क्लीनिकल रिसर्च के बायोमेडिकल क्षेत्र में प्रतिष्ठित अवार्ड डा.वी आर खानोलकर अवार्ड देने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि यह अवार्ड दो वर्षो में एक बार दिया जाता है। इसके अलावा चिकित्सा के अन्य विधाओं में भी रिसर्च वर्क के लिए यह अवार्ड दिया जाता है।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.