लखनऊ। डॉक्टरों समेत डाक्टरों और चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा के लिए पंजाब में 2008 में बनाया कानून केंद्र शासित चंडीगढ़ में लागू किया जा सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन के आज यहां जारी बयान के अनुसार पंजाब चिकित्सा सेवाकर्मी एवं चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति को नुकसान रोकथाम) अधिनियम 2008 करवाने के लिए केंद्र से गुहार लगाने का निर्णय आज प्रशासक वीपी सिंह बदनोर और भारतीय चिकित्सा परिषद की चंडीगढ़ इकाई की बैठक में लिया गया।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पंजाब सरकार से इस अधिनियम के तहत साा की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष करने के की संभावना जांचने को भी कहा जायेगा।
चंडीगढ़ प्रशासन इसीके साथ पुलिस को यह निर्देश भी जारी करेगा कि उपचार में लापरवाही की मरीजों अथवा अभिभावकों की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले वह चिकित्सा मंडल से स्पष्टीकरण ले जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं। हाल में पश्चिम बंगाल में एक डॉक्टर पर एक मरीज के रिश्तेदारों के हमले के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल की थी जिसके समर्थन में भारतीय चिकित्सा परिषद ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किये थे और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कड़े उपायों की मांग की थी।
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