लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में इंजेक्शन लगाने के बाद किशोरी की हालत तेजी से बिगड़ने लगी ,जब तक डॉक्टर इंजेक्शन का रिएक्शन का कारण समझ कर इलाज करते तब उसकी मौत हो गयी। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए बवाल काट दिया। बवाल के कारण वहां पर अफरा-तफरी मच गयी। परिजनों को किसी तरह डॉक्टर व कर्मचारियों को समझाकर बुझा कर शांत कराया।
रायबरेली स्थित निवासी रोशनी (16) को पेट दर्द की परेशानी हुई। परिजनों ने रायबरेली के डाक्टरों से इलाज कराया, पर राहत नहीं मिली। हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने रोशनी को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। परिजन मरीज को लेकर तीन जुलाई को ट्रॉमा सेंटर पहुंचे, तो यहां पर पहले तो डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना करते रहे। परिजनों का कहना है कि काफी देर तक फरियाद के बाद भर्ती कर लिया। इसके बाद फिर जांच के लिए तीन दिन तक परिक्रमा कराते रहे। जांच में अल्ट्रासाउंड समेत ब्लड की भी कई जांच करायी गयी।
इमरजेंसी के डॉक्टरों ने रोशनी को ट्रॉमा सर्जरी विभाग में शिफ्ट कर दिया। रोशनी के भाई रिंकू का आरोप है कि बुधवार दोपहर मरीज को एक इंजेक्शन लगाया गया। कुछ देर बाद उसकी सांसें लेने में दिक्कत होने लगी आैर कुछ देर में सांस उखड़ने लगी। हालत बिगड़ती देख परिजनों ने डॉक्टरों को तुरंत बुलाया। उनका आरोप है कि काफी देर बाद डॉक्टर आए। भाई रिंकू ने डाक्टरों से गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया।
इस बीच जब तक इलाज शुरू हो पाता, करीब आधे घंटे बाद रोशनी की सांसें थम गयी। मरीज की मौत से नाराज परिजनों ने बवाल काटना शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप है कि रोशनी को पेट की क्या बीमारी थी। उसका क्या इलाज किया जा रहा था। बार- बार पूछने के बाद भी डॉक्टरों ने कुछ नहीं बताया। फिलहाल डॉक्टर व कर्मचारियों ने किसी तरह मामला शांत कराया।
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