लखनऊ। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को बंद का समर्थन देते हुए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जूनियर डाक्टरों ने कामकाज ठप करके प्रदर्शन किया। जूनियर डाक्टरों ने ओपीडी में प्रदर्शन कराते हुए बंद करा दी। एक घंटा से ज्यादा ठप रही ओपीडी को केजीएमयू प्रशासनिक अधिकारियों के वरिष्ठ डाक्टरों ने खुद आकर सम्हाला। तब जाकर मरीजों का इलाज शुरु हो पाया। उधर
गोमती नगर स्थित राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के एमबीबीएस छात्रों ने भी काम बंद रखकर रैली की। इस रैली में उन्होंने लोगों को बिल के संदर्भ में जागरूक किया।
केजीएमयू में सुबह ओपीडी शुरू हो पायी कि अचानक सैकड़ों की संख्या में जूनियर डाक्टर एनएमसी के विरोध में नारेबाजी करते हुए पर्चा काउंटर बंद कराने लगे। पर्चा काउंटर बंद भी हो गये। ओपीडी में बैठे डाक्टर बाहर निकलने लगे। इस बीच केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार व प्राक्टर डा. आरएएस कुशवाहा पहुंच गये। उन्होंने जूनियर डाक्टरों को बाहर निकलने का निर्देश दिया। जूनियर डाक्टर वहां से निकल कर ओपीडी के गेट की सीढ़ियों पर बैठ गये आैर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद भी ओपीडी में जूनियर डाक्टर नही गये। वरिष्ठ डाक्टरों ने खुद ओपीडी को सम्हाला आैर मरीजों को परामर्श दिया। देर शाम को जूनियर डाक्टरों ने केजीएमयू परिसर में कैंडिल मार्च निकाल कर मेन गेट पर प्रदर्शन किया।
उधर लोहिया संस्थान में एमबीबीएस के मेडिकोज ने परिसर में रैली निकाल कर लोगों को बताया कि कैसे एनएमसी बिल नॉन एमबीबीएस को मेडिकल प्रेक्टिस करने देगा व यह बिल मेडिकल फील्ड का निजीकरण कर देगा। छात्रों ने मांग की एक स्टैंडिंग कमिटी का गठन हो, जिसमें एमबीबीएस छात्र भी हो और इस कमेटी के द्वारा निर्णय लिया जाए कि एनएमसी बिल में क्या बदलाव करने सही रहेंगे। छात्रों ने नेक्स्ट एग्जाम का भी विरोध किया और पुरानी व्यवस्था लागू रखने मांग की।
एक तरफ सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में बहाली बंद है और डॉक्टरों के 50 से अधिक स्थान रिक्त पड़े हैं, डॉक्टरों की बढ़ती माँग की अनुपात में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि करने की अपनी ज़िम्मेदारी से सरकार मुंह मोड़ चुकी है, वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों को बढ़ावा देते हुए मेडिकल की पढ़ाई का पूरी तरह निजीकरण और बाज़ारीकरण करने का पूरा इंतज़ाम इस बिल में है।
इसके अलावा महज़ 6 महीने का ब्रिाज कोर्स करा के होमियोपैथ, आयुर्वेद के चिकित्सकों को नेशनल मेडिकल रजिस्टर में जोड़ने का प्रावधान इस बिल में है। क्या ये नेता मंत्री और अफसर अपने परिवार का इलाज 6 महीने का ब्रिज कोर्स किए चिकित्सकों से कराएंगे। उन्होंने बताया कि साल दर साल कम होते स्वास्थ्य बजट में बढ़ोत्तरी करके एमसीएच व पीजी की सरकारी सीटों में इज़ाफ़ा किया जाए, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को दुरुस्त करके रिक्त पदों को भरा जाए।
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