स्तनपान शिशु के लिए है जरुरी

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लखनऊ। माँ का दूध शिशु को न सिर्फ स्वस्थ रखने और भरपूर पोषण देने का काम करता है, बल्कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व समुचित विकास में भी मदद करता है। दुनिया भर में बच्चों की मौतों की रोकथाम के लिए स्तनपान, प्राथमिक, सबसे आसान, सहज रूप से उपलब्ध, सस्ता और असरदार तरीका है। यह साथ ही माता व बच्चे के बीच स्नेह और भावनात्मक जुड़ाव का सम्बन्ध भी बनता है, जो कि वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित करता है कि यह विधि बच्चे के स्वास्थ्य पर बेहद अनुकूल प्रभाव डालती है।

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बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना चाहिये। यह शिशु को संक्रमण से बचाने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इससे डायरिया से बचाव होता है ,यह सुपाच्य होता है। एक महीने से एक साल तक के बच्चे को सडेन इंफेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा होता है। डॉ. सलमान बताते हैं कि बच्चे को 6 माह तक केवल माँ का दूध पिलाना चाहिए। छह महीने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार देना चाहिए ।

जिला स्तरीय प्रशिक्षक व जिला स्वास्थ्य शिक्षा योगेश रघुवंशी ने बताया कि माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। स्तनपान कराना एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।

स्तनपान के मिथक और वास्तविकता

मिथक :- अगर स्तनों का आकार छोटा है तो बच्चे के लिए पर्याप्त दूध नहीं बन पायेगा
वास्तविकता :- स्तनपान कराने के लिए स्तनों के अकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है अगर माँ स्वस्थ है तो बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध बनता है

मिथक :- स्तनपान सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद होता है
वास्तविकता :- अगर कोई महिला अपने बच्चे को नियमित स्तनपान कराती है, तो इससे ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है

मिथक :-स्तनपान कराने से स्तनों का आकार बिगड़ जाता है।
वास्तविकता :-स्तनपान कराने से स्तनों के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

मिथक :- माँ की तबियत खराब हो तो बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए।
वास्तविकता :- माँ की तबियत खराब होने पर भी को स्तनपान कराया जा सकता ह।ै

मिथक :- पाउडर वाला दूध माँ के दूध से बेहतर होता है।
वास्तविकता :- माँ के दूध में एंटीबाडीज, लिविंग सेल्स, एंजाइम्स और होर्मोनेस होते हैं जो कि फार्मूला मिल्क से ज्यादा बेहतर होते हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 फीसदी है जो कि काफी कम है। अन्य प्रदेशों की तुलना में, उत्तर प्रदेश में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसदी है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार लखनऊ जिले में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 22.3 फीसदी और जनपद में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 47 फीसदी है।

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