जांच में जेनेटिक म्यूटेशन का पता चले 40 प्रतिशत खतरा

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लखनऊ – किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में रोल ऑफ जेनेटिक होस्टिंग इन ब्रोस्ट एंड ओवेरियन कैंसर” पर बार्ट्स कैंसर संस्थान, लंदन के डॉ रंजीत मनचंदा ने कहा कि नयी जांच प्रक्रिया व दवाओं से इलाज सम्भव है। केजीएमयू के सेल्बी हॉल में अतिथि व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन स्त्री एवं प्रसूति रोग की आचार्य निशा सिंह जी ने किया, जो डॉक्टर रंजीत मनचंदा के सेंटर से स्त्री कैंसर रोग का प्रशिक्षण भी ले चुकी हैं। डॉ मनचंदा ने बताया कि अंडाशय के कैंसर में 10 से 15 कैंसर अनुवांशिक कारणों से होता है।

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आमतौर पर नाम की जींस में गड़बड़ी इसका कारण होती है। जो इस कैंसर का खतरा बढ़ाती हैं। विभिन्न लोगों में जेनेटिक टेस्टिंग से इन जेनेटिक म्यूटेशन का पता लगे उनके निकट परिवारी जनों में स्तन एवं अंडाशय के कैंसर का खतरा 40 परसेंट तक होता है। जो आम आदमी से 20 से 40 गुना ज्यादा है। अतः इस जेनेटिक टेस्टिंग से हाई रिस्क कैसे से भविष्य में होने वाले कैंसर से बचा जा सकता है। इसके लिए अंडाशय एवं फेलोपियन ट्यूब को दूरबीन ऑपरेशन द्वारा निकाला जा सकता है। जांच की प्रक्रिया महंगी एवं जटिल है एवं कुछ ही संस्थानों में मौजूद हैं।

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