लखनऊ- किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के शताब्दी अस्पताल में संचालित डायलिसिस यूनिट पर संकट के बादल मडराने लगे है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप मॉडल (पीपीपी) के तहत चल रही यूनिट के संचालन के लिए नयी कम्पनी आगे नहीं आ रही है। निविदा के तहत मात्र एक ही कम्पनी से डायलिसिस करने के लिए आगे आयी है। पीपीपी मॉडल के तहत चल रही डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है। पीपीपी मॉडल के तहत चल रही इस यूनिट संचालन में कुछ अर्से से भुगतान को लेकर विवाद उठने लगा था। यूनिट संचालित करने वाली कम्पनी का दावा था कि खराब हो रहे उपकरण को ठीक कराने में बजट काफी अधिक लग जाता है। जब समय से भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक उपकरण ठीक कराने में दिक्कत आती रहती है।
काफी संख्या में डायलिसिस उपकरण खराब रहने से डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को दिक्कत अाती रहती है। अब डायलिसिस यूनिट का संचालन करने वाली कम्पनी की निर्धारित तय सीमा का समाप्त हो रही है। इससे पहले डायलिसिस यूनिट संचालन के लिए नयी कम्पनी का चयन के निविदा डालने के लिए आमत्रिंत की गयी। निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी मात्र एक ही कम्पनी से डायलिसिस यूनिट संचालन के लिए निविदा को डाला है। अब केजीएमयू प्रशासन को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि डायलिसिस यूनिट संचालन के लिए कोई आगे क्यो नहीं आ रहा है।
केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार का कहना है कि एक ही कम्पनी के द्वारा निविदा डालने पर तीन बार निविदा निरस्त किया जा सकता है। उसके बाद केजीएमयू की प्रशासन निर्णय लिया जा सकता है। फि लहाल पीपीपी मॉडल के तहत तत्कालीन कम्पनी ही नयी कम्पनी के आने तक संचालित करती रहेगी।
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