लखनऊ । माँ का दूध 6 माह तक बच्चे के लिए सम्पूर्ण भोजन होता है, वहीं छह महीने के बाद बच्चे को वृद्धि एवं विकास के लिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की आवश्यकता होती है ,राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक मोनिका एस गर्ग ने पूरक आहार पर विशेष ध्यान देने के लिए सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों व प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र जारी किया है।
पत्र के अनुसार बच्चों के विकास में जीवन के 1000 दिनों का बहुत महत्त्व होता है। विकास एवं वृद्धि का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ सही पोषण होता है। इस समय बच्चे में संक्रमण जैसे डायरिया, निमोनिया का खतरा भी अधिक होता है। कुपोषण व बीमारी से बचाव के लिए सही आहार व व्यवहार अत्यंत आवश्यक है।
पत्र में निर्देश दिये गए हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता , मुख्य सेविका अन्नप्राशन कार्यक्रम में 10-15 ऐसी महिलाओं को केंद्र पर बुलाएंगी। जिनके 2 वर्ष से कम आयु के बच्चे है।ं6-8 माह की आयु का जो भी बच्चा स्वस्थ होगा उसकी माँ की प्रशंसा करते हुए अन्य महिलाओं को उसके द्वारा बच्चे को दिए जा रहे खान पान के बारे में बताया जाये। सभी माताओं से मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड लाने को कहा जाए और उसमें वृद्धि कार्ड को अवश्य भरे माताओं को पोषण व वृद्धि के बीच सम्बन्ध को बताना है। भोजन बनाने व बच्चे को खिलाने से पहले साबुन से हाथ अवश्य धोएं । इसके अतिरिक्त पूरक आहार खिलाने में माता पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, इस विषय पर चर्चा अवश्य करें।
गृह भ्रमण करते समय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मुख्य सेविका को इस बात आंकलन व मुल्यांकन करना है कि क्या बच्चे को ऊपरी आहार देने की शुरुआत कर दी गयी है, यदि कर दी गयी है तो उसे क्या खाने को दिया जा रहा है । इस पर बच्चे की माँ से बने हुए भोजन के बारे में बात करें ।यह देखें कि भोजन कितना गाढ़ा या पतला है। बच्चे को उसकी आयु के अनुसार कितना और कब-कब भोजन व् नाश्ता दिया जा रहा है इस विषय में माँ या परिवार के अन्य सदस्यों से जानकारी प्राप्त करेंगे ।
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