मासूम की आहार नली बना, दिया नया जीवन

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लखनऊ। एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने एक वर्ष के मासूम के खाने की नली बनायी है।मासूम संस्थान के पीडियाट्रिक प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में भर्ती है।डॉक्टरों का दावा है कि बच्चा अब स्वस्थ्य है। जल्द ही उसे छुट्टी कर दीजाएगी। चिकित्सा भाषा में इस बीमारी को ट्रेकिया इसोफेजियल एट्रेसियाकहते हैं। यह बीमारी चार हजार मासूमों से एक को होती है। मासूम के परिजन बिहार केसीतामढ़ी जिले का रहने वाला है।पीजीआई के पीडियाट्रिक सर्जरी के प्रमुख डॉ. बसंत कुमार बताते हैं किमासूम को जन्म से खाने की नली नही बनी थी। जन्म के 24 घंटे के भीतर पटनाके एक अस्पताल के डॉक्टरों ने नवजात का ऑपरेशन कर पेट और गले में दो नलीडाली थी। इस नली से नवजात को दूध दिया जा रहा था। क्योंकि यह नली न डालीजाती तो नवजात का बचना बहुत मुश्किल था।

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पटना के डॉक्टरों ने 15 दिन केनवजात का ऑपरेशन करने के बाद पीजीआई रेफर किया था। पीजीआई के पीडियाट्रिकसर्जन डॉ. विजय उपाध्याय ने देखा। करीब एक साल से लगातार मासूम का इलाजइलाज चल रहा था। एक हफ्ता पहले पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. बसंत कुमार, डॉ.विजय उपाध्याय और डॉ. अंकर मण्डेलिया की टीम ने इस मासूम का सफल ऑपरेशनकिया।पेट के हिस्से से बनायी नलीडॉ. विजय उपाध्याय बताते हैं कि मासूम के पेट के कुछ हिस्से को काटकर नलीबनायी गई। इस नली को पेट के रास्ते गले से होते हुए मुंह के भीतर जोड़दिया गया।

जबकि पहले से गले व पेट में डाली गई नली को निकाल दिया गया है। यह मासूम दूसरे मासूमों की तरह दूध आदि ले रहा है। डॉ. बसंत कुमार बताते हैं कि इस बीमारी का पता चलने पर परिजनों को विलंब नही करना चाहिये।नवजात को दूध पीने के साथ सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरन्त डॉक्टर कीपरामर्श लेनी चाहिए। साथ ही जंम के तुरंत बाद नवजात के खाने की नली और मलद्वार के रास्ते की जांच जरूर करानी चाहिए।

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