लखनऊ। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने प्रमुख सचिव से किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विजीलेंस ऑफीसर प्रकरण में 15 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिया है। विभिन्न गंभीर आरोपों में घिरे डॉक्टर को सतर्कता अधिकारी (विजीलेंस ऑफीसर) का पद सौंपने पर कार्रवाई शुरु हो गयी है। बताते है कि इस प्रकरण में केजीएमयू के कई जिम्मेदारी अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते है आैर उन पर भी कार्रवाई हो सकती है।
बताते चले कि केजीएमयू में 450 के करीब डॉक्टर तैनात हैं। केजीएमयू प्रशासन द्वारा 25 मई 2019 को कार्यपरिषद की बैठक में अनुमति भी ले ली गयी । ऐसे में बलिया निवासी अनूप कुमार श्रीवास्तव ने मामले की शिकायत चिकित्सा शिक्षा मंत्री व राजभवन में कर दी है। भेजे गये शिकायती पत्र में संलग्न साक्ष्यों को गंभीर मानते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने सात सितंबर को प्रमुख सचिव को मामले की जांच कराकर रिपोर्ट तलब की है। केजीएमयू प्रशासन को यह रिपोर्ट 15 दिन में भेजनी होगी। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि शासन ने जिन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है, वह शासन को जल्द भेज दी जाएगी।
बताते चले कि केजीएमयू के विजीलेंस ऑफीसर बनाए गए डॉक्टर पर डिप्लोमा इन फार्मेसी प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी का गंभीर आरोप हैं। सतर्कता विभाग की जांच के बाद शासन द्वारा वर्ष 2003 में केजीएमयू को डॉक्टर पर अभियोजन स्वीकृत किए जाने का निर्देश दिया गया, जिसे वर्ष 2004 की कार्यपरिषद में अनुमति प्रदान करने का दावा किया गया था। इसके बाद से मामला कोर्ट में चल रहा है।
विभिन्न आरोपों की जांच में घिरे डॉक्टर की जल्द ही सेवा निवृत्ति होनी है, ऐसे में कोर्ट का निर्णय आने तक पेंशन व अन्य देय रोके जाएं आश्चर्य चिकित करने वाला यह है कि गंभीर आरोप के साक्ष्य होने के बाद भी कार्यपरिषद से यह प्रस्ताव कैसे पास करा लिया गया,जब कि कार्यपरिषद की बैठक में कुलपति व कुलसचिव दोनों मौजूद होते है।
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