न्यूज। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) में मौजूद अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने पहली बार अल्प गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) में सीमेंट मिलाने में सफलता हासिल की है। नासा ने कहा कि यह एक ऐसा कदम है, जो भविष्य में अंतरिक्ष में मनुष्यों को भीषण तापमानों आैर विकिरण से बचाएगा। अनुसंधानकर्ताओं ने यह समझने के लिये सीमेंट के जमने पर गौर किया कि प्रक्रिया में शामिल रसायन विज्ञान आैर सूक्ष्म संरचनाएं अल्प गुरुत्वाकर्षण में कैसे बदल जाती हैं।
इस प्रयोग में अनुसंधानकर्ताओं ने सीमेंट के आम संघटक ट्राइकैल्शियम सिलिकेट (सी3एस) आैर पानी को पहली बार धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर मिलाया। नासा ने इस प्रयोग को माइक्रोग्रैविटी इन्वेस्टिगेशन ऑफ सीमेंट सॉलिडिफिकेशन (एमआईसीएस) परियोजना नाम दिया है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एमआईसीएस परियोजना में, आईएसएस में मौजूद अंतरिक्ष विज्ञानियों ने यह जानने की कोशिश की अल्प गुरुत्वाकर्षण में सीमेंट को जमाने से क्या कोई नयी सूक्ष्म संरचना उत्पन्न हुई। उनके अध्ययन के जरिए पहली बार अल्प गुरुत्वाकर्षण में मिलाए गए सीमेंट के नमूनों की धरती पर तैयार सीमेंट से तुलना हो सकी है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने गौर किया कि जब मनुष्य चांद पर या मंगल ग्रह पर ठहरने जाएगा, तो उसे रहने आैर काम करने के लिए सुरक्षित स्थान बनाने की जरूरत होगी आैर इसके लिये धरती पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री कंक्रीट है। नासा ने कहा कि कंक्रीट इतना ठोस एवं टिकाऊ होता है कि वह ब्राहृांडीय विकिरण से सुरक्षा उपलब्ध करा सके।
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