पीसीएफ कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर किया प्रदर्शन

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  • पीसीएफ को ब्याज मुक्त धनराशि न मिलने पर काम बंद करेंगे कर्मचारी
  • मांगें न पूरी होने पर दो अक्टूबर के बाद शुरू होगा आंदोलन

लखनऊ – पीसीएफ कर्मचारियों ने बुधवार को काला फीता बांधकर प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया। विरोध कर रहे कर्मचारियों ने मांग की है कि पीसीएफ को सरकार ब्याज मुक्त धनराशि दे। क्योंकि पीसीएफ सरकार की नीतियों और मंशानुरूप ही किसानों के हित में धान, गेहूं आदि की खरीद का काम वर्षों से कर रही है। इसलिए सरकार और शासन के उच्च अफसरों को पीसीएफ के कर्मचारियों के हित में उचित फैसले लेने चाहिए, जिससे कर्मचारी और ऊर्जा से काम कर सकें।

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यूपी कोऑपरेटिव फेडरेशन कर्मचारी सभा के आवाह्न पर 32 स्टेशन रोड स्थित मुख्यालय पर लंच टाइम में कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर विरोध जताया। संगठन के महामंत्री सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारी मांगें पूरी न हो जाने तक रणनीति के तहत आंदोलन करते रहेंगे। गांधी जयंती के बाद पूरे प्रदेश में काम भी ठप किया जा सकता है। शासन के अफसर सरकार को गुमराह कर रहे हैं।

सुनील ने कहा पीसीएफ सरकार की नीतियों का क्रियान्वयन करने के लिए कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत गेहूं, धान, दलहन, तिलहन की खरीद के लिए राष्ट्रीय कृत बैंकों से 8.55 फीसदी की ब्याज दर से खरीद हेतु धनराशि ली जाती है। तीन साल से पीसीएफ की वित्तीय स्थिति चरमरा जाने से शासन से 11.66 फीसदी की ब्याज दर से धनराशि दी जा रही है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित दर से एफसीआई का भुगतान विगत कई सालों से नहीं किया जा रहा है। इससे हर साल ब्याज का वित्तीय भार पीसीएफ पर बढ़ता जा रहा है। तीन साल से करीब 324.86 करोड़ रुपए घाटे पर संस्था है। सरकार चक्रवृद्धि ब्याज दर से 11.66 फीसदी पर ऋण दे रही है, जब सरकार को पीसीएफ को गन्ना, खाद्य एवं रसद आदि क्रय करने वाले विभागों की भांति सब्सिडी या कम ब्याज दर पर ऋण दे।

पीसीएफ का अलग से सरकार ने कोई बजट भी नहीं कर रखा है, जिससे कर्मचारियों का वेतन आदि का काम भी उसी में किया जाता है। जबकि पीसीएफ संस्था सरकार की किसानों से जुड़ी सभी जरुरतों को पूरा करने वाली सबसे बड़ी संस्था है। अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने पीसीएफ को खरीद की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी दी है। सुनील ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2011-12 से अब तक गेहूं खरीद में बकाया 1006.58 करोड़ एवं चीनी मद में 352.81 करोड़ रुपए का बकाया होने से मूलधन के अलावा ब्याज के रूप में संस्था को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उपाध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय ने मांग की कि पीसीएफ को शासन दो हजार करोड़ रुपए ब्याज मुक्त धनराशि दें। जिससे पांच साल में धान, गेहूं खरीद में पीसीएफ द्वारा वहन की गई ब्याज की धनराशि की प्रतिपूर्ति की जाए।
संगठन ने सातवें वेतन आयोग की संस्तुति कर कर्मचारियों को लाभ देने, एसीपी लाभ, कनिष्ठ सहायक व अर्द्धकुशल श्रमिक वर्ग को ग्रेड पे 2000‌/- एवं 1900/- का लाभ तुरंत दिया जाए, रिक्त सभी कैडर के पदोन्नति की जाए, एचआरए और चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान किया जाए।

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