अब यह तय करेंगे, आरोपी कैदी मरीज भर्ती हो या नहीं

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन की कड़ी फटकार के बाद घोटालों व अन्य मामलों में आरोपी कैदी मरीजों को जेल आने के बाद डाक्टरों का पैनल जांच करने के बाद भर्ती करना है या नहीं, हरी झंडी देगा। अब जेल से आया कैदी मरीज अपने मनमाफिक डाक्टरों से इलाज शुरू कर भर्ती हो जाते थे। केजीएमयू में वर्ष दो हजार बारह में आरोपी कैदी मरीजों को भर्ती करने से जांच के लिए मल्टी एक्सपर्ट डाक्टर पैनल से जांच कराने के लिए आवश्यक कर दिया। बिना कमेटी की जांच के ट्रामा सेंटर या ओपीडी के माध्यम से कैदी मरीज भर्ती हो जाता था। ऐसे में जेल से काफी संख्या में कैदी भर्ती होने के लिए आने लगे। यह मरीज ऐसी बीमारियों के होते थे, जिनमें जांच रिपोर्ट के बिना इलाज कराना मुश्किल हो सकता था।

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अब मरीजों के जेल से आने के बाद गठित जांच कमेटी से संस्तुति के बाद ही कैदी मरीजों को भर्ती आसान हो जाती है। बीच में लोगों के दबाव व जुगाड़ होने के बाद आरोपी कैदी गठित जांच कमेटी का कोई वजूद नहीं रह गया। इस बीच लगातार कैदी आरोपियों संख्या को देखते हुए विशेषज्ञ पैनल के संस्तुति के बगैंर आरोपी कैदी मरीज भर्ती नहीं हो सकेगा।मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व यूरोलॉजी विशेष डा. एसएन शंखवार ने बताया कि हाल में कुछ घटनाएं हुई कि जांच कमेटी का गठन एक बार फिर किया जा रहा है। कमेटी में फिजीशियन, हार्ट , रेस्पटरी, न्यूरो, आर्थो के विशेषज्ञ डाक्टरो को रखा गया है। कमेटी मरीजों की जांच पड़ताल करेंगी आैर अपनी रिपोर्ट देगी कि मरीज किस विभाग में आैर कहां जांच करायेगा। इसके बाद ही उस समय ड¬ूटी पर मौजूद डाक्टर ही इलाज शुरू करेगा आैर अन्य विशेषज्ञ डाक्टरों को जानकारी देना आयेगा। इस कमेटी की संस्तुति के बैगर आरोपी कैदी भर्ती नही होगा।

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