लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के कोरोना को लेकर किए जा रहे दावे कागजी साबित हो रहे हैं। संदिग्ध मरीजों का आरोप है कि जांच के लिए सरकारी संस्थानों की परिक्रमा कर रहे है, लेकिन जांच नहीं हो पाने से परेशान है। बुधवार सुबह एक सेवा निवृत्ति अधिकारी कोरोना की जांच के लिए लोहिया संस्थान पहुंचे, तो पर्चे पर दवा लिखकर जांच के लिए केजीएमयू भेजा गया, पर केजीएमयू ने मना कर दिया। वहीं एयरपोर्ट परिसर में रहने वाला निजी कंपनी मैनेजर भी जांच के लिए भटक रहा है। संदिग्ध रोगियों का आरोप है कि उन्हें केजीएमयू जांच के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन यहां पर मना कर दिया जाता है। ऐसे में जांच कैसे हो बताया नहीं जाता है।
राजधानी में कोरोना के तीन मरीज पॉजिटिव आने के अलावा संदिग्ध मरीज भी काफी संख्या में आ रहे है। गोमतीनगर निवासी रिटायर्ड अधिकारी सुबह कोरोना के लक्षण बताते हुए लोहिया संस्थान जांच के लिए पहुंचे। उनका कहना है कि वह दिल्ली से तीन दिन पहले वापस लौटे थे। लक्षण मिलने पर लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने पर्च पर दवा लिखकर केजीएमयू जांच के लिए रेफर कर दिया। वहां भी जांच नहीं की गयी। दोपहर करीब दो बजे संदिग्ध रोगी अपने को कोरोना संदिग्ध बताते हुए सीएमओ कार्यालय के कंट्रोल रूम में पहुंच गया।
कंट्रोल रूम कर्मचारी व मेडिकल बोर्ड के लिए आए लोगों में संदिग्ध कोरोना रोगी सुना तो वहां पर भगदड़ मच गयी। वहीं एयरपोर्ट परिसर के रहने वाले निजी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को सांस लेने में तकलीफ संग जुखाम-बुखार आ रहा था। लक्षण के आधार पर एयरपोर्ट पर लगी टीम ने जांच के लिए लोकबंधु अस्पताल भेजा। जहां से मरीज केजीएमयू भेजा गया। वहां पर दिनभर इंतजार बाद भी संदिग्ध रोगी की जांच न हो सकी।
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