लखनऊ। पीजीआई के ट्रामा में बनाये गए राजधानी कोविड अस्पताल में सोमवार को तैनाती के पहले दिन ही संविदा नर्सों ने हंगामा शुरू कर दिया। यह नर्से कोरोना के संक्रमण वाले मरीजों का इलाज करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सभी स्थायी कर्मचारियों की तरह सुविधाओं की मांग कर रही हैं। नर्सों की मांग है कि पीजीआई उन्हें स्थायी करे या आगे होने वाली स्थायी भर्ती में उन्हें 50 प्रतिशत की छूट दे। इसके अलावा उनका व उनके आश्रितों को इलाज और केंद्र सरकार द्वारा घोषित 50 लाख के बीमा का लाभ सुनिश्चित किया जाय।
इस सम्बंध में नर्सो ने पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमान को संबोधित मांग पत्र भेजा है। हालांकि कोविड अस्पताल अभी शुरु नही हुआ है। सोमवार की सुबह अस्पताल पहुंची यह संविदा नर्से कोविड अस्पताल में ड्यूटी वाला रोस्टर देखकर भड़क गईं। इनका आरोप है कि संस्थान प्रशासन ड्यूटी लगाने में भेदभाव कर रहा है। कोविड अस्पताल में 70 फीसदी संविदा स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है। इसमें सबसे ज्यादा नर्सें शामिल हैं। जबकि पीजीआई की मुख्य बिल्डिंग के करीब 70 फीसदी बेड खाली हैं। स्थायी स्टाफ खाली है। फिर भी उनकी ड्यटी नही लगाई गई है। हंगामे की जानकारी होने पर अस्पताल पहुंचा आउट सोर्सिंग कंपनी के प्रतिनिधि ने उनकी एक बात नही सुनी, बल्कि नर्सों को नौकरी से निकालने की धमकी दी, जिसके चलते कुछ नर्से तो शांत हो गईं, हालांकि अन्य नर्सो ने इसका विरोध किया। हंगामा बढ़ने पर वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियी ने शांत करा दिया। अफसर शोषण कर रहे संविदा नर्सों का आरोप है कि उन्हें सिर्फ 16 हज़ार रुपये मिलते हैं। बीते कई साल से आउट सोर्सिंग कंपनी ने उनके वेतन में बढ़ोत्तरी नही की है। जबकि नियुक्ति पत्र में हर साल 10 फीसदी बढ़ाने की बात लिखी है। इसके बावजूद 2 से 3 माह हो जाते हैं वेतन नही दिया जाता है। जब भी वेतन या अन्य मांगों के लिए संविदाकर्मी संस्थान के अफसरों के पास जाते हैं, तो उन्हें फटकार कर भगा दिया जाता है। यह अफसर आए दिन नौकरी से निकाल देने की धमकी देते हैं।
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