लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड -19 को देखते हुए मरीजों की हाई रिस्क का नियम ही बदल गया है। इसके साथ ही शासन ने प्रदेश में बढ़ते प्रसार को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि प्रदेश के जनपदों में हाई रिस्क जनसंख्या को चिन्हित करके उनके सैम्पल प्रयोगशाला को भेजा जाए। बताते चले कि प्रदेश में बढ़ते कोरोना मरीज की जांच का प्रोटोकॉल बदलने के लिए प्रदेश के चीफ फार्मासिस्ट सुनील यादव ने परामर्श भी दिया था।
नये नियम के अनुसार अतंरराष्ट्रीय यात्रा के 28 दिनों के अंदर कोविड-19 के लक्षणों वाले को हाई रिस्क के तहत रखा जाए। इसके अलावा कोविड-19 रोगी के सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति में लक्षण उत्पन्न हो गये हो। मरीज के साथ घर में रहने वाला व्यक्ति के अलावा सीवियर एक्यूट रेस्पटरी रोग यानी की बुखार खांसी तथा सांस की तकलीफ वाले मरीज सरकारी या निजी क्षेत्र में भर्ती रोगी हो।
28 दिनों के अंदर तबलीगी जमात में भाग लेने वाले व्यक्ति की जांच करायी जाएं। हाई रिस्क के मरीजों की जांच के लिए प्रदेश में सात लैब निर्धारित की गयी। यह लैब मेरठ, अलीगढ़ मेडिकल कालेज, लखनऊ काकेजीएमयू, पीजीआई के अलावा वाराणसी, गोरखपुर, इटावा की लैब चिन्हित की गयी है। यह लैब 24 घंटे काम करेंगी।
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