प्रवासी की तबियत बिगड़ी, मौत

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लखनऊ। मुम्बई से लौटे 45 वर्षीय मजदूर की बलरामपुर अस्पताल में इलाज का इंतजार करते हुए एम्बुलेंस में ही मौत हो गयी। यह मजूदर अपने नगराम स्थित गांव लौटा था। उसे पहले प्राइमरी स्कूल में क्वारंटीन कराया गया। रविवार को उसकी हालत बिगड़ने पर उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर किया गया। आरोप है कि एम्बुलेंस के लिए दो घंटे तक मरीज इंतजार करता रहा। वहीं दूसरी तरफ मोहान रोड के राजकीय बालगृह विशेषीकृत की ग्यारह वर्षीय की संवासिनी की बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी की मौत हो गयी। अस्पताल के डाक्टरों का कहना था कि संवासिनी को बुखार व सांस लेने में तकलीफ थी। पहले बालगृह के लोग उसे राजाजीपुरम में आरएलबी संयुक्त अस्पताल लेकर गये, जहां संवासिनी को बलरामपुर अस्पताल के लिए रेफर किया गया। शव को बलरामपुर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम गृह में रखवा दिया गया है। नमूना लेकर जांच के लिए भेजा गया है।

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नगराम के बहरौली गांव निवासी ताज मोहम्मद (45) मुम्बई में बर्तन फैक्ट्री में काम करते थे। भतीजे फैज मोहम्मद के अनुसार 10 मई को वह गांव लौटे। यहां उन्हें प्राइमरी स्कूल में क्वारंटीन किया गया। आशा उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थीं। तीन दिन पहले उन्हें हल्का बुखार, जुकाम हो गया। शनिवार रात को बुखार तेज हो गया। सुबह सांस भी फूलने लगी। ऐसे में सुबह नौ बजे उन्हें 108 एम्बुलेंस से सीएचसी गोसाईगंज भेजा गया, डाक्टरों ने उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर किया। करीब पूर्वाह्न 11 बजे मरीज को लेकर एम्बुलेंस बलरामपुर अस्पताल पहुंची। परिजनों का आरोप पहले ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने मरीज को भर्ती करने से मना करते हुए केजीएमयू जाने का दबाव बनाते रहे।

इस बीच टेक्नीशियन ने ही मरीज को मृत घोषित किया। फैज मोहम्मद का आरोप है एम्बुलेंस कर्मी ने अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डाक्टर को रेफर के कागज दिए लेकिन मरीज को भर्ती नहीं किया। वहीं एक बजे के करीब ताज मोहम्मद की मौत हो गयी। मरीज की मौत पर परिवारजनों ने हंगामा किया। परिजनों के अनुसार ताज मोहम्मद की मौत के बाद तीन घंटे तक शव को हैं। ओवर नहीं किया गया क्योंकि कोरोना संदिग्ध मरीज की जांच के बाद ही अंतिम संस्कार किया जाना था। इस दौरान शव एम्बुलेंस में ही पड़ा रहा। करीब चार बजे के करीब शव मच्र्युरी में शव रखा गया।

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डा. राजीव लोचन ने बताया कि परिवारजनों के आरोप निराधार हैं। उसकी हालत गंभीर थी। मरीज को भर्ती किया गया। वहीं कर्मचारी के आने में कुछ देर हुई। इससे शव मच्र्युरी में रखने में थोड़ी देर लग गयी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मामला गंभीर है। मरीज की भर्ती क्यूं नहीं हुई। इसकी जांच कराई जाएगी। एसीएमओ के नेतृत्व में कमेटी बनेगी, तो तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।

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