लखनऊ। प्रदेश में कोरोना के गंभीर मरीजों के उच्चस्तरीय इलाज के लिए कोविड-19 प्लाज्मा बैंक बनाने की कवायद शुरू हो गयी है। यह बैंक किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के तहत बनाया जाने का प्रस्ताव है। अगर यह प्लाज्मा बैंक बन जाता है, कोरोना के गंभीर मरीजों को प्रत्येक ग्रुप का प्लाज्मा थेरेपी देना आसान हो सकता है।
कोरोना महामारी के चलते कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी का अंतिम विकल्प ही बचता है। कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड से लिया जाने वाला प्लाज्मा कोरोना के मरीजों के लिए वरदान साबित हो जाता है। क्योंकि कोरोना वायरस से जब मरीज के शरीर की एंटीबाडी संघर्ष करती है, तो एक अलग प्रकार की एंटी बाडी तैयार हो जाती है, जो कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैंयार हो चुकी होती है। कोरोना संक्रमित मरीज के गंभीर मरीज को जब यह प्लाज्मा चढ़ाया जाता है, तो उसके शरीर की एंडीबाडी आैर मजबूत हो जाती है आैर मरीज की बचने की संभावना प्रबल हो जाती है। सभी जगह प्लाज्मा थेरेपी सफल भी हो चुकी है। आईसीएमआर ने भी इसके प्रयोग की अनुमति देना शुरू कर दिया है।
केजीएमयू के ब्लड बैंक में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा देना शुरू भी कर दिया है। यहां पर सात से ज्यादा कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों ने प्लाज्मा डोनेशन कर दिया है। यही नहीं कोरोना के गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी भी देना शुरू कर दी गयी है। ब्लड बैंक की प्रभारी डा. तूलिका चंद्रा का कहना है कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज लगातार प्लाज्मा डोनेशन कर रहे है। एक कोरोना से ठीक हो चुके मरीज ने तो दोबारा प्लाज्मा डोनेशन किया, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है, जो कि सफल है। अगर प्लाज्मा डोनेशन लगातार बढ़ता है, तो कोविड-19 प्लाज्मा बैंक बनाया जा सकता है। उनके यहां कोविड-19 ब्लड बैंक के मानकों को पूरा किया जा रहा है। ऐसे में प्लाज्मा बैंक बनाया जा सकता है।