लखनऊ। मच्छर आंख बंद करके नहीं काटते हैं ,बल्कि किसको काटना है इसके लिए काफी सतर्क रहते हैं। मच्छरों में सुनने की शक्ति से वह हमें ढूंढ लेते हैं। यही नहीं शरीर में मौजूद लैक्टिक एसिड पसीने और कार्बन ऑक्साइड की गंध को आसानी से पहचान लेते हैं। यही कारण है कि कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं और कुछ को बिल्कुल नहीं काटते हैं।
अगर देखा जाए तो मच्छर बुजुर्गों गर्भवती महिलाओं और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को ज्यादा मच्छरों से खतरा होता है। यह भी जान लीजिए नर मच्छर खून नहीं सोचते हैं बल्कि फूलों के पराग पर ही जीवित रहते हैं। धरती पर मच्छर की लगभग 3500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। यह मच्छर एक बार में 0.1 मिली मीटर तक खून चूस लेता है। मच्छरों के लाइक बहुत कम होती है नरभक्षक 10 दिन तक पर मादा मच्छर 6 से 8 तो तक जीवित रह पाती है। देखा गया है कि मच्छर तो ग्रुप वालों को ज्यादा काटते हैं। यह भी बताते चलें डॉ रोनाल्ड रॉस ने 18 97 मैं मनुष्य में मलेरिया बीमारी के लिए जिम्मेदार मादा एनाफिलीज मच्छर की खोज की थी। उसके बाद मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए विश्व भर में अभियान चलाए गए और मलेरिया से लोगों की जान बचाई जाने लगी। वर्ष उन्नीस सौ दो में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।