लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल में आजकल लोग बचाव तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन जमकर कर रहे हैं। कुछ लोग बिना विशेषज्ञों की सलाह के दोस्तों या अन्य लोगों की सलाह पर काढ़ा बनाकर सेवन करने लगते हैं या या फिर बाजार में बिकने वाले काढ़ा का सेवन करने लगते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञों की माने तो किसी भी प्रकार के काढ़े का सेवन व्यक्ति उम्र, मौसम, शारीरिक स्थिति को देखकर लेने का परामर्श दिया जाता है ।
विशेषज्ञ बताते हैं कि काढ़े की मात्रा और उसे कितना पतला या गाढ़ा होना चाहिए, यह हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। इसका निर्धारण व्यक्ति की उम्र, मौसम और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया जाता है। जबकि लोग आजकल रेडीमेड काढ़े खूब जमकर सेवन कर रहे हैं । बेहतर क्वालिटी वाले काढ़े में काली मिर्च, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, दालचीनी, इलायची और सोंठ जैसे मसाले डाले जाते हैं। इन सभी की तासीर गर्म होती है। ये सभी शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। इस गर्मी के कारण एसिडिटी जैसी समस्याएं होती है। कभी-कभी तो नाक से खून भी आ जाता है। काढ़ा गर्म होता है और इसे पीने के कारण मुंह का स्वाद थोड़ा खराब हो जाता है। लोग ज्यादा फायदे के लिए काढ़ा पीने के बाद लंबे समय पानी भी नहीं पीते। ज्यादातर लोग आजकल यदि बिना आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह के लगातार कान्हा पी रहे हैं। घर में इसे बनाते वक्त न सिर्फ सामान की क्वालिटी, बल्कि मात्रा को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि जब भी लगातार काढ़ा का सेवन कर रहे हो तो शरीर में होने वाले बदलावों पर ध्यान दें। यदि खट्टी डकार, एसिडिटी, पेशाब करने में दिक्कत हो तो तुरंत सामग्री की मात्रा को कम कर दें। काढ़े में ज्यादा पानी डालें और इसकी मात्रा भी कम लें। काली मिर्च, इलायची, अश्वगंधा, सोंठ और दालचीनी की मात्रा को कम ही रखना चाहिए
आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि कफ प्रकृति वालों को काढ़े का सीधा और ज्यादा फायदा मिलता है। उनका कफ दोष काढ़े से कम होता है। लेकिन पित्त और वात दोष वालों को सावधान रहना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि पित्त दोष वालों को काली मिर्च, दालचीनी और सोंठ का बहुत कम इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोगों को पित्त व कफ होने की जानकारी नहीं होती है।
खासकर बीपी के मरीजों और नाक से जुड़ी समस्याओं के मरीजों में ऐसा हो सकता है। नाक से खून आने पर गंभीर हो जाएं। मुंह में छाले पड़ सकते हैं। ज्यादा काढ़ा पीने केे के कारण मुंह के अंदर दाने की तरह छाले भी हो सकते हैं। इस कारण खाना खाने में परेशानी हो सकती है। यही नहीं लापरवाही बरतने पर एसिडिटी बन जाती है और पाचन क्रिया तक गड़बड़ा सकती है। कभी-कभी तो पेशाब करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पेशाब करते समय जलन महसूस होने लगे तो सावधान हो जाइए ।