सभी सम्मानित टेक्नीशियन व पदाधिकारियों के द्वारा उत्तर प्रदेश में रेडियोग्राफर यूनियन का गठन सर्वसम्मति किया गया, जिसका नाम यूथ एंपावरमेंट रेडियो टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (YERTA) रखा जिसके प्रदेश अध्यक्ष माननीय अमित सोलंकी जी (संतोष मेडिकल कॉलेज गाजियाबाद), प्रदेश महासचिव माननीय वैभव दीक्षित जी (एस एन मेडिकल कॉलेज आगरा), प्रदेश कोषाध्यक्ष माननीय अनुपम पटेल जी (लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज), प्रदेश प्रवक्ता माननीय मनोज कुशवाह जी (संतोष मेडिकल कॉलेज गाजियाबाद), प्रदेश उपाध्यक्ष माननीय बृजेन्द्र सिंह पटेल जी (सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज), प्रदेश संगठन मंत्री माननीय अश्वनी सिंह चौहान जी (शुभभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ), प्रदेश संगठन मंत्री माननीय तनवीर अख्तर जी को सर्वसम्मति से मनोनीत किया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष (YERTA) अमित सोलंकी जी ने बताया कि –
रेडियोलॉजी विभाग आज के समय मेें कितना ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है, किसी भी मरीज की स्थिति जानने के लिए, इलाज से पहले रेडियोलॉजी विभाग की सहायता ली जाती है एक्सरे, सीटी स्कैन,एमआरआई स्कैन, अल्ट्रासाउंड, पेट स्कैनके माध्यम से मरीज की स्थिति का पता लगाकर डॉक्टर द्वारा मरीज का इलाज शुरू किया जाता है,1895 से लेकर अब तक एक्सरे की विश्वशनीयता दिन प्रतिदिन मेडिकल क्षेत्र में बड़ी है, और आने वाले समय मेें इसे धीरे धीरे अपडेट भी किया गया है, जेसे कि एमआरआई स्कैन (1.5, 3 टेस्ला तकनीक, सीटी स्कैन प्रथम जेनरेशन उसके बाद द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ जेनरेशन के मशीनों के द्वारा मेडिकल क्षेत्र में एक बहुत बड़ी क्रांति आई है जिससे मरीजों को इलाज कराने में बिना चीर फाड़ के डॉक्टर एवम् मरीज दोनों को सुविधा मिली है, इसी प्रकार इन मशीनों को ऑपरेट करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय, एवम् प्रदेश स्तर पर स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा मान्यता प्राप्त कालेजों द्वारा एक्सरे टेक्नीशियन, सीटी,एमआरआई टेक्नीशियन के कोर्स कराए जाते हैं। रेडिएशन फील्ड के फायदे के साथ साथ कुछ नुकसान भी है, यदि आप सरकार द्वारा तय मानक से अधिक रेडिएशन फील्ड में रहते है तो इसके कारण आपको त्वचा कैंसर, आंखो में जलन, यदि प्रेग्नेंट महिलाओं का एक्सरे या सीटी स्कैन बिना किसी प्रिकॉशन के किया जाता है तो मां के पेट में पल रहा भ्रूण शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर भी हो सकता है। पर यहां प्रदेश मे चल रहे सभी हॉस्पिटल्स और डाइग्नोस्टिक सेंटर्स इन नियमो का उल्लंघन करते हैं तथा सरकार द्वारा दी गई गाइड लाइन भी फॉलो नही करते है इन सब बातों को ध्यान मे रखते हुए इस यूनियन का गठन किया गया है कि प्रशिक्षित लोगों को अधिक से अधिक इसका लाभ दिलवाया जा सकें।
इसलिए सरकार द्वारा इस क्षेत्र में केवल और केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टेट मेडिकल फैकल्टी में रजिस्टर्ड टेक्नीशियन को ही प्राइवेट, संविदा आउटसोर्सिंग, सरकारी पदों पर कार्य करने की इजाजत दी गई है।